
नई दिल्ली । कर्नाटक और महाराष्ट्र (Karnataka and Maharashtra) के बीच बेलगावी (Belwagi) को लेकर चल रहे विवाद पर सीएम सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) ने अपना पक्ष साफ किया है। उन्होंने शनिवार को चेतावनी दी कि बेलवागी कर्नाटक राज्य का अभिन्न हिस्सा है। इसे कभी भी महाराष्ट्र में विलय करने नहीं दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद पर महाजन समिति की रिपोर्ट अंतिम है।
मैसूर बैंक सर्कल में शोभायात्रा को हरी झंडी दिखाने पहुंचे सीएम सिद्धारमैया ने कहा, “बेलगावी मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा। महाराष्ट्र सरकार ने इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, लेकिन महाजन रिपोर्ट अंतिम है। हम बेलगावी को नहीं जाने देंगे क्योंकि यह कन्नड़ भूमि है और कर्नाटक का हिस्सा है। इससे कोई इनकार नहीं कर सकता।” गौरलतब है कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद दशकों से चला आ रहा है, पड़ोसी राज्य बेलगावी और उसके आसपास के इलाकों पर मराठी भाषी आबादी का हवाला देते हुए दावा करता रहा है। कर्नाटक ने महाजन समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए महाराष्ट्र के दावे को खारिज कर दिया है।
उपद्रव किया तो सख्ती से निपटेंगे: सिद्धारमैया
इस विवाद पर प्रतीक के तौर पर कर्नाटक ने बेलगावी में एक सुवर्ण विधान सौध का भी निर्माण किया है। इसमें एक विधानसभा का सत्र भी आयोजित किया जाता है। सिद्धारमैया ने कहा कि पहले इस कर्नाटक से महाराष्ट्र एकीकरण समिति के पांच विधायक चुने जाते थे। लेकिन अब उनकी संख्या भी शून्य हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा, “एमईएस के लोग भी कन्नड़ हैं। अगर उनमें से कोई भी उपद्रव करता है, तो हम उससे सख्ती से निपटेंगे।” उन्होंने कन्नड़ कार्यकर्ताओं से कहा कि सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में कन्नड़ स्कूलों के विकास के लिए हर संभव प्रयास करने को तैयार है। राज्य के हितों की रक्षा के लिए कन्नड़ कार्यकर्ताओं के संघर्ष की सराहना करते हुए, सिद्धारमैया ने उन्हें आश्वासन दिया कि कन्नड़ समर्थक आंदोलनों के लिए उनके खिलाफ दर्ज मामले वापस ले लिए जाएँगे।
मुख्यमंत्री ने राज्य के लोगों से कन्नड़ भूमि, भाषा और संस्कृति पर गर्व करने का आह्वान किया। उन्होंने आग्रह किया, “हमें अपनी भूमि में कन्नड़ का माहौल बनाना होगा। इसके लिए, कोई आपसे चाहे किसी भी भाषा में बात करे, आपको कन्नड़ में ही जवाब देना होगा, जिन लोगों ने कन्नड़ की धरती पर अपना जीवन बसाया है, उन्हें कन्नड़ परिवेश का सम्मान करना चाहिए।
क्या है विवाद?
गौरतलब है कि बेलगावी का विवाद कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच में 1956 में हुए राज्य पुनर्गठन के बाद से ही जारी है। मराठी भाषी आबादी वाले इस जिले को लेकर महाराष्ट्र लगातार दावा करता आया है। उनका दावा है कि इस क्षेत्र में मराठी लोग ज्यादा रहते हैं, इसलिए इसे महाराष्ट्र में शामिल किया जाना चाहिए, जबकि कर्नाटक का कहना है कि यह ऐतिहासिक रूप से कन्नड़ भूमि है। इस क्षेत्र में कन्नड़ आबादी भी बड़ी संख्या में है।
आपको बता दें, महाराष्ट्र कुल मिलाकर 865 गांव और बस्तियों पर अपना दावा करता है। अपना कानूनी और राजनीतिक दावा मजबूत करने के लिए महाराष्ट्र की तरफ से इस क्षेत्र में महाराष्ट्र एकीकरम समिति का भी गठन किया था, जो कि आज भी क्षेत्र में सक्रिय है। 2004 में अपने इस दावे को लेकर महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीस तब से लेकर अब तक यह मामला लंबित है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved