व्‍यापार

कुशल कर्मचारियों की कमी से जूझ रही हैं कंपनियां, पूरे नहीं हो पा रहे टार्गेट


नई दिल्‍ली: कोरोना महामारी के बाद देश में बिजनेस की गति‍विधियां जोर पकड़ रही हैं, लेकिन कुशल कर्मचारियों की कमी की वजह से कंपनियां अपने टार्गेट पूरे नहीं कर पा रही हैं. मेन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, रियल एस्टेट, इन्फ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक्स, रिटेल, ऑटोमोबाइल व ऑटो कंपोनेंट, रेस्तरां और फैसिलिटी मैनेजमेंट सहित लगभग सभी क्षेत्र कुशल श्रमिकों की 15-30 प्रतिशत की कमी का सामना कर रहे हैं.

इकोनॉमिक टाइम्‍स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्कफोर्स मैनेजमेंट प्‍लेटफॉर्म बेटरप्‍लेस के चीफ एग्जिक्‍यूटिव प्रवीन अग्रवाल का कहना है कि स्किल्ड मैनपावर की कमी के कारण कंपनियां अपना टार्गेट पूरा नहीं कर पा रही हैं. यही नहीं, कर्मचारियों की कमी से टैलेंट एक्विजिशन कॉस्‍ट भी बढ़ गया है, क्‍योंकि कंपनियों को कर्मचारियों को लुभाने के लिए इंसेंटिव और वन टाइम पेमेंट देना पड़ रहा है.

बढ़ रही है कर्मचारियों की मांग
कंपनी एग्जिक्‍यूटिव्‍स का कहना है कि आने वाले त्‍योहारी सीजन में मांग में और इजाफा होने का अनुमान है. कोरोना महामारी के बाद अब कंपनियां निरंतर अपने ऑफिस खोल रही हैं और सर्विस एक्टिविटीज़ तेजी पकड़ रही हैं. लेकिन, अब कुशल कर्मचारियों की कमी के रूप में एक नई समस्‍या कंपनियों के सामने खड़ी हो गई है. टीमलीज़ सर्विसेज के को-फाउंडर रितुपर्णा चक्रवर्ती का कहना है कि वैल्‍यू चेन में क्‍वालिटी ऑफ जॉब इम्‍प्रूव हुआ है. यही कारण है कि अब स्किल्‍ड मैनपावर की कमी का सामना इंडस्‍ट्री को करना पड़ रहा है.


खर्च में हुई बढ़ोतरी
आरपीजी ग्रुप की कंपनी केईसी इंटरनेशनल के मैनेजिंग डायरेक्‍टर विमल केजरीवाल का कहना है कि कंपनी के विभिन्‍न प्रोजेक्‍ट्स साइट्स पर करीब 30,000 कर्मचारी काम कर रहे हैं. लेकिन हमारे पास फिलहाल स्किल्‍ड और सेमी स्किल्‍ड लेबर की 10 से 15 फीसदी की कमी है. केजरीवाल का कहना है, “हमारी रिसोर्स मोबिलाइजेशन कॉस्‍ट बढ़ गई है और लोगों को अपने साथ जोड़े रखने के लिए हमें इंसेटिव देने पड़ रहे हैं. डिमांड और सप्‍लाई में बहुत अंतर है.”

इन कर्मचारियों की ज्‍यादा कमी
फूड सर्विसेज और फैसिलिटी मैनेजमेंट फर्म सोडेक्‍सो (sodexo) के इंडिया डायरेक्‍टर प्रदीप चावड़ा का कहना है- “पहले जहां हम किसी क्‍लाइंट को उपलब्‍ध कराए गए कर्मचारी को 6-7 दिन में बदलते थे, वहीं अब ऐसा हम 10 दिन में कर रहे हैं. ऐसा कर्मचारियों की कमी के कारण हो रहा है.” चावड़ा का कहना है कि फूड और फैसिलिटी मैनेजमेंट बिजनेस में 22-30 फीसदी टैलेंट शॉर्टेज है. इस वजह से मानव संसाधन खर्च 12 फीसदी बढ़ गया है. वेयरहाउस एग्जिक्‍यूटिव्‍स, ड्राइवर, सुरक्षा गार्ड, हाउसकीपर, मशीन ऑपरेटर, वेल्डर, बढ़ई, वेयरहाउस कर्मचारी, फिटर और इलेक्ट्रीशियन की ज्‍यादा कमी है.

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