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सांसदी जाने के बाद अब कब तक सरकारी बंगले में रह सकते है राहुल, जाने क्‍या कहता है नियम

नई दिल्‍ली (New Delhi) । कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) की लोकसभा की सदस्यता खत्म किए जाने के बाद अब उन्हें सरकारी बंगला (government bungalow) खाली करने का नोटिस (notice) भेजा गया है। लोकसभा सचिवालय के आवास संबंधी विभाग की ओर से इसे लेकर सोमवार को राहुल को नोटिस भेजा गया। इसमें कहा गया कि वह 17वीं लोकसभा के लिए 23 मार्च को अयोग्य घोषित होने के बाद उनकी सदस्यता खत्म की जा चुकी है, इसलिए 22 अप्रैल तक उन्हें आवंटित 12 तुगलक लेन का बंगला खाली करना होगा। राहुल केरल के वायनाड से संसद सदस्य हैं, इसलिए उनके केरल और दिल्ली के पते पर बंगला खाली करने का नोटिस भेजा गया है।

राहुल गांधी को भेजे नोटिस में कहा गया है कि नियम के अनुसार, सदस्यता समाप्त होने के बाद वह सिर्फ 1 महीने तक इस बंगले में रह सकते हैं। एक महीने की अवधि 22 अप्रैल को समाप्त हो रही है, इसलिए 23 अप्रैल को उनके नाम से आवंटित बंगला रद्द कर दिया जाएगा। इस तरह की सूचना शहरी आवास विकास मंत्रालय को भी दी गई है। हालांकि, कांग्रेस नेता इस अवधि को बढ़ाने के लिए आवास संबंधी समिति से अपील कर सकते हैं। चलिए विस्तार से जानते हैं कि राहुल गांधी को किस तरह का सरकारी आवास मिला था और उसे खाली करने क्या नियम हैं…


राहुल गांधी को मिला टाइप 7 बंगला
सबसे पहले यह जानिए कि सरकारी बंगले कई तरह के होते हैं। टाइप 6 से लेकर टाइप 8 तक के सरकारी आवास सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों, राज्य मंत्रियों को दिए जाते हैं। राहुल गांधी को जो बंगला मिला है वो टाइप 7 है। टाइप 7 वाले बंगले विशेष तौर पर राज्य मंत्रियों, दिल्ली हाईकोर्ट के जज, कम से कम 5 बार सांसद रहे व्यक्तियों को ही अलॉट होते हैं। अगर किसी नेता ने पहली बार लोकसभा चुनाव जीता है तो उसे सरकार की ओर से टाइप 5 का बंगला दिया जाता था। हालांकि, अब कुछ नई शर्तों के साथ उसे टाइप 6 का बंगला भी मिल जाता है।

NDMC से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना जरूरी
राहुल गांधी को अपना सरकारी बंगला खाली करने से पहले नई दिल्ली नगरपालिका परिषद् से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होगा। केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के इन बंगलों में पानी और बिजली आपूर्ति का जिम्मा नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के पास रहता है। NDMC को भी लोकसभा की आवास संबंधी समिति के आदेश की प्रति भेजी गई है, जिसमें राहुल गांधी से मकान छोड़ने को कहा गया है। निकाय अधिकारी ने बताया, ‘हमारी भूमिका संपत्ति को लेकर नहीं, बल्कि नागरिक सुविधाओं से जुड़ी हुई है। हम क्षेत्र में पानी और बिजली आपूर्ति करते हैं। बंगला खाली करने से पहले राहुल गांधी को एनडीएमसी से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होगा।’

जानें बंगला खाली करने के नियम
सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदखली) संशोधन अधिनियम, 2019 सितंबर की 16 तारीख से प्रभावी हुआ। इसके जरिए सरकारी आवासों पर अवैध रूप से कब्‍जा जमाए बैठे लोगों को तेजी से बेदखल करने का प्रावधान किया गया। यही नहीं, इससे लंबी प्रक्रियाओं की आवश्‍यकता को पूरा किए बगैर ही सरकारी आवासों से अनधिकृत लोगों की बेदखली सुनिश्चित हो जाएगी। संशोधित अधिनियम के अनुसार, संपदा अधिकारी सरकारी आवास से अनधिकृत लोगों की बेदखली से पहले 3 दिनों का कारण बताओ नो‍टिस जारी कर सकता है। इससे पहले यह अवधि 60 दिन की थी।

कारण बताओ नोटिस और सुनवाई
अगर बंगला खाली नहीं होता है तो कारण बताओ नोटिस जारी करने का प्रावधान है। मामले की सुनवाई तय होती है। यह सुनवाई डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एस्टेट (जांच) की ओर से की जाती है। अलॉटमेंट रद्द होने के आदेश की तारीख से 30 दिनों के भीतर फैसले के खिलाफ अपील की जा सकती है। अगर अपीलीय प्राधिकारी अपील को खारिज कर देता है, तो बेदखली की प्रक्रिया शुरू करने के लिए मामला लेजिलेशन सेक्शन को भेजा जाता है। इसके बाद, संपदा निदेशालय ऑक्यूपेंट को कारण बताओ नोटिस भेजता है और फिर प्रतिक्रिया का इंतजार रहता है।

अधिक वक्त तक रहने पर क्या होगा?
तय समय से अधिक वक्त तक बंगले में रहने वाले व्यक्ति को हाई कोर्ट से ही राहत मिल सकती है। हालांकि, सांसद के पास लोकसभा की हाउसिंग कमेटी के पास अतिरिक्त समय दिए जाने की अपील करने का ऑप्शन भी है। अब जानते हैं कि अगर सरकारी बंगले में तय समय से अधिक वक्त तक रहने की इजाजत मिल जाए, तब क्या होगा? ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को बाजार रेट के हिसाब से किराया देना पड़ता है। इस तरह राहुल गांधी के पास भी हाउसिंग कमेटी से बंगले में रहने के लिए अतिरिक्त समय की मांगने का अधिकार है। अब यह देखना होगा कि कांग्रेस नेता इस तरह की कोई गुहार लगाते हैं या नहीं।

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