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कर्नाटक में मेट्रो स्टेशन का नाम रखने पर विवाद, CM पर भड़के लोग, कहा- सेंट मैरी ही क्यों, शंकर नाग क्यों नहीं?

September 11, 2025

बेंगलुरु । कर्नाटक (Karnataka) के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Chief Minister Siddaramaiah) ने बेंगलुरु मेट्रो (Bengaluru Metro) के आगामी शिवाजीनगर स्टेशन (Shivajinagar Station) का नाम सेंट मैरी (St. Mary’s) के नाम पर रखने की सिफारिश की है। उनके इस वादे पर विवाद खड़ा हो गया है। सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल किए हैं कि स्टेशन का नाम दिवंगत कन्नड़ अभिनेता-निर्देशक शंकर नाग के नाम पर क्यों नहीं रखा जाना चाहिए? दरअसल, यह विवाद तब शुरू हुआ जब सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सेंट मैरी बेसिलिका में वार्षिक भोज के दौरान आर्कबिशप पीटर मचाडो को यह आश्वासन दिया कि सरकार आगामी पिंक लाइन मेट्रो स्टेशन का नाम सेंट मैरी के नाम पर रखने पर सकारात्मक रूप से विचार करेगी। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बेसिलिका के जीर्णोद्धार के लिए फंड देने का भी वादा किया।

बाद में इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए शिवाजीनगर के विधायक रिजवान अरशद ने कहा, “मैं औपचारिक तौर पर मेट्रो स्टेशन का नाम ‘शिवाजीनगर सेंट मैरी’ रखने का प्रस्ताव रखता हूँ। यह प्रतिष्ठित सेंट मैरी बेसिलिका के सम्मान में है, जिसका एक समृद्ध इतिहास रहा है। बेसिलिका शिवाजीनगर बस डिपो के पास स्थित है, और यात्रियों को इस नाम पर कोई भ्रम नहीं होगा।” सिद्धारमैया ने कहा कि सेंट मैरी के नाम पर मेट्रो स्टेशन का नाम रखने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा और बाकी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी।


जिसने मेट्रो के सपने देखे, स्टडी करवाए, उने नाम पर क्यों नहीं?
सीएम के इस ऐलान के बाद सोशल मीडिया यूजर्स भड़क गए हैं। उन्होंने तर्क देते हुए कहा है कि दशकों पहले बेंगलुरु में मेट्रो का कॉन्सेप्ट तैयार करने में शंकर नाग की दूरदर्शी भूमिका के लिए उन्हें सम्मान मिलना चाहिए। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, “शंकर नाग उन फिल्मों में एक अपवाद थे जिनके दिल में बेंगलुरु और कर्नाटक का हित था। वह शहर को सिंगापुर जैसा बनाना चाहते थे और यहाँ तक कि उनकी तकनीक का अध्ययन करने के लिए खर्च भी उठाया। ऐसे में उनके नाम पर मेट्रो स्टेशन का नाम क्यों नहीं होना चाहिए?”

1980 के दशक में करवाया था मेट्रो पर स्टडी
बता दें कि दिवंगत अभिनेता-निर्देशक ने 1980 के दशक में अन्य देशों के मेट्रो रेल नेटवर्क का अध्ययन किया था और बेंगलुरु में एक शहरी रेल परिवहन प्रणाली की वकालत की थी, जिससे उन्हें नम्मा मेट्रो के मूल दूरदर्शी के रूप में पहचान मिली। एक अन्य यूजर ने लिखा है, “जिस व्यक्ति ने बेंगलुरु मेट्रो का सपना देखा था, वह आज भी अपने नाम पर एक स्टेशन का इंतज़ार कर रहा है। यह शंकर नाग के साथ सरासर अन्याय है।”

विवाद आगे भी जारी रहने के आसार
जब विवाद बढ़ा तो विधायक अरशद ने सफाई देते हुए कहा कि इस रूट पर कई ऐसे स्टेशन आने वाले हैं जिनका नाम शंकर नाग के नाम पर रखा जा सकता है। उन्होंने बेंगलुरु के 83 मेट्रो स्टेशनों में से कई का नाम विभिन्न हस्तियों और आध्यात्मिक गुरुओं के नाम पर रखा गया है, जिससे यात्रियों को कभी-कभी भ्रम हो सकता है। इलेक्ट्रॉनिक सिटी स्थित स्टेशन का नाम इन्फोसिस फाउंडेशन कोनाप्पना अग्रहारा है, जबकि कोनाप्पना अग्रहारा में स्थित स्टेशन का नाम इलेक्ट्रॉनिक सिटी है। बेंगलुरु में नामकरण पर बहस आगे भी जारी रह सकता है क्योंकि उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने हाल ही में फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा के नाम पर एक स्टेशन का नाम रखने पर चर्चा की है।

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