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Corona से लगा अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका, RBI ने की मजबूती देने की तैयारी

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के कारण देश की अर्थव्यवस्था (Economy of the country due to corona infection) को गहरा धक्का लगा है, लेकिन इस संकट का सामना करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने पक्की तैयारी शुरू कर दी है। अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए नए वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में कई अहम फैसले लिये गए हैं।

इन उपायों के तहत रिजर्व बैंक ने अब पेमेंट बैंक की डिपॉजिट लिमिट एक लाख से बढ़ाकर दो लाख कर दी है। इससे ऑनलाइन बैंकिंग को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही फाइनेंशियल सिस्टम में सेटलमेंट रिस्क को कम करने में भी मदद मिलेगी। रिजर्व बैंक का अनुमान है कि इस फैसले से बाजार में नकदी की किल्लत भी कम होगी।

रिजर्व बैंक के एक और फैसले के मुताबिक डिजिटल पेमेंट कंपनियों के लिए भी नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (नेफ्ट) और रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) सुविधाओं का दायरा बढ़ाया है। इसके तहत फिनटेक और पेमेंट कंपनियां भी नेफ्ट और आरटीजीएस के जरिए पैसे ट्रांसफर कर सकेंगी। अभी तक ये सुविधा केवल बैंकों के पास ही उपलब्ध थीं।

रिजर्व बैंक का मानना है कि इससे फाइनेंशियल सिस्टम में सेटलमेंट रिस्क को कम करने में मदद मिलेगी और देश में डिजिटल फाइनेंशियल सर्विसेज को भी बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। इसका मतलब ये भी है कि किसी के पास अगर मोबाइल वॉलेट है तो वो आरटीजीएस और नेफ्ट के जरिए किसी को भी पैसा भेज सकता है।

रिजर्व बैंक के नए फैसलों के मुताबिक पेटीएम, फोन-पे जैसे प्री पेड इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) के लिए अकाउंट लिमिट को एक लाख से बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया गया है। आरबीआई के इस ताजा फैसले से पेटीएम, गूगल-पे और फोन-पे जैसे पीपीआई के यूजर्स को काफी फायदा मिलेगा। हालांकि ऐसा करने के लिए केवाईसी की बाध्यता रखी गई है, ताकि किसी तरह की गड़बड़ी न हो सके।

आरबीआई ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए पेमेंट बैंक के प्रति ग्राहक के लिए डिपॉजिट लिमिट को एक लाख से बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया है। यानी दिन के अंत तक एक ग्राहक के अकाउंट में अधिकतम दो लाख रुपये का डिपॉजिट हो सकता है। देश के प्रमुख पेमेंट बैंकों में एयरटेल, पेटीएम, इंडिया पोस्ट जैसे बड़े नाम शामिल हैं। बताया जा रहा है कि चूंकि सामान्य बैंकों (कॉमर्शियल बैंक) में डिपॉजिट इंश्योरेंस गारंटी की सीमा को एक लाख से बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया है, इसीलिए रिजर्व बैंक ने पेमेंट बैंकों की डिपॉजिट लिमिट को भी दो लाख तक बढ़ा दिया है।

मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि टार्गेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन (टीएलटीआरओ) स्कीम की अवधि को अगले छह माह के लिए यानी 30 सितंबर 2021 तक बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक अपने विभिन्न टूल्स के जरिए बाजार को पर्याप्त नकदी समर्थन (लिक्विडिटी सपोर्ट) देना जारी रखेगा।

उल्लेखनीय है कि टार्गेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन (टीएलटीआरओ) से बैंक रेपो रेट पर रिजर्व बैंक से एक से तीन साल के लॉन्ग टर्म के कर्ज लेते हैं। इसके बदले उन्हें सरकारी या अन्य कोई लंबी अवधि की सिक्योरिटी जमानत के रूप में रखनी पड़ती है।

रिजर्व बैंक ने नाबार्ड, नेशनल हाउसिंग बैंक और सिडबी जैसे फाइनेंशियल संस्थानों के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की आर्थिक मदद देने का भी ऐलान किया है। इसके तहत नाबार्ड को 25 हजार करोड़ रुपये, नेशनल हाउसिंग बैंक को 10 हजार करोड़ रुपये और सिडबी को 15 हजार करोड़ दिए जाएंगे। (एजेंसी, हि.स.)

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