आज तक आपने जीरा (cumin) का इस्तेमाल दाल और सब्जियों में तड़का लगाने के लिए केवल एक मसाले के रुप में किया होगा । भारत में इसका उपयोग लगभग सभी खानों में किया जाता है. इसके इस्तेमाल से सब्जी या दाल में स्वाद और सुगंध बढ़ती है । लेकिन क्या आप जानते हैं ये बारीक और छोटे दाने वाला जीरा (cumin) कई सारी बीमारियों को दूर करने में रामबाण है। पेट संबंधी रोगों के लिए अचूक दवा है। ये तो सभी जानते हैं कि जीरे (cumin) का उपयोग रायता, सलाद, दाल, सब्जी और सूप आदि में खूब किया जाता है. क्या आप इससे होने वाले फायदों और गुणों के बारे में जानते हैं?. तो चलिए आपको बता देते हैं कि जीरे (cumin) में क्या औषधीय गुण (Medicinal properties) है जिसकी वजह से ये बहुत लाभकारी है:
जीरे में मौजूद औषधीय गुण
जीरा (cumin) एक बेहतरीन एंटी-ऑक्सिडेंट है। इसमें कैल्शियम, कॉपर, आयरन, पोटैशियम, मैगनीज, जिंक और मैगनीशियम जैसे पौषक तत्व होते हैं। इसमें फाइबर (Fiber) भी भरपूर मात्रा में मौजूद है। इनके अलावा जीरे (cumin) में विटामिन ए, सी, ई और बी-कॉम्प्लैक्स जैसे विटामिन भी हैं। इतने सारे विटामिन्स और मिनिरल्स (Vitamins and Minerals) होने की वजह से जीरे के सेवन से बहुत स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।
जीरे सेहत संबंधी प्रमुख लाभ (Jeera Benefits)
जीरा (cumin) और सिंदूर को कड़वे तेल में पकाकर एक शीशी में भरकर रख लें। यदि खुजली की शिकायत है तो इसे लगाएं, इससे खुजली कम हो जाएगी।
जीरा (cumin) मुंह की दुर्गन्ध को दूर करने में काफी लाभदायक होता है। सेंधा नमक के साथ जीरा (cumin) का दिन में दो बार सेवन करें इससे मुंह की दुर्गन्ध खत्म हो जाएगी।
अगर आपको मतली या उल्टी आने की समस्या है तो जीरे (cumin), शर्करा, मरीच और नमक का चूर्ण बनाकर शहद के साथ दिन में 3 से 4 उपयोग करें। इससे उल्टी आना बंद हो जाता है।
जीरे (cumin) के सेवन से पुरानी से पुरानी सर्दी जुकाम भी दूर हो जाता है। इसके लिए जीरे को जलाकर उसका धुंआ सूंघना चाहिए। वहीं जिन लोगों को कफ की शिकायत है वे जीरे (cumin) के पानी का सेवन करें।
खट्टी डकार आने पर भी जीरा बेहद उपयोगी है। इसके लिए पानी के साथ जीरे का काढ़ा बना लें जिसे छानकर स्वादानुसार मिर्च और नमक डालकर पी लें। इससे खट्टी डकारे दूर हो जाएगी।
आपको कम भूख लगती है तो आप जीरा (cumin) को नींबू के रस में भिगोकर नमक के साथ सेवन करें। इससे पाचन शक्ति दुरुस्त होती है और भूख लगती है।
यदि कचनार की छाल के रस में जीरा (cumin) मिलाकर उसका सेवन किया जाए तो इससे बुखार उतरने में मदद मिलती है। इतना ही नहीं, कंपकंपी या ठंड की शिकायत होने पर जीरे का गुड़ के साथ सेवन करना फायदेमंद होता है।
जिन लोगों को अपच और वात-पित्त दोष है वे जीरा (cumin) और धनिया के पेस्ट को घी में पकाकर भोजन से आधा घंटे पहले खाएं।
काले जीरे (cumin) का काढ़ा बनाकर उसका कुल्ला करने से दांत का दर्द कम होता है ।
नोट – उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं इन्हें किसी प्रोफेशन डॉक्टर की सलाह के रूप में न समझें । कोई भी बीमारी या परेंशानी हो तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें ।
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