
नई दिल्ली । राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI ) द्वारा शुरू की जा रही नई यूपीआई (New UPI)चार्जबैक व्यवस्था(chargeback system) ऐसे ग्राहकों (Customers)को भी राहत देगी, जिनके रिफंड दावे पहले खारिज कर दिए गए थे। नए नियमों में बैंकों को यह छूट दी गई है कि वे पुराने खारिज किए गए मामलों की फिर से जांच कर सकें। एनपीसीआई ने दिसंबर 2023 में पाया था कि कुछ लोग बार-बार चार्जबैक कर रहे हैं और प्रणाली का दुरुपयोग कर रहे हैं। इसलिए इसकी सीमा तय कर दी गई थी।
अगर किसी ग्राहक ने महीने में 10 से ज्यादा बार या किसी एक व्यक्ति के साथ पांच से ज्यादा बार चार्जबैक किया हो तो उसका अगला रिफंड दावा खारिज कर दिया जाता था, लेकिन अब यह भी माना गया है कि कुछ वास्तविक दावे भी इन नियमों की वजह से रुक रहे हैं। इसी को देखते हुए यह नई व्यवस्था लाई गई है।
बैंक पुराने मामले फिर जांचेंगे
नई चार्जबैक प्रणाली पहले से मौजूद दावा प्रक्रिया के साथ मिलकर काम करेगी और बैंकों को अतिरिक्त सुविधा देगी कि वे पुराने खारिज किए गए मामलों को फिर से जांच कर सकें। इस बदलाव का सबसे बड़ा लाभ उपभोक्ताओं को होगा, क्योंकि उन्हें बार-बार शिकायत दर्ज करने की जरूरत नहीं होगी। बैंक खुद यह पहचान लेंगे कि किन मामलों में रिफंड योग्य स्थिति है और उसी आधार पर रिफंड प्रक्रिया को फिर से शुरू कर सकेंगे।
अनुमति की जरूरत खत्म
नए नियमों में अब बैंकों को रकम वापस करने के लिए एनपीसीआई से अलग से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी। इस नई व्यवस्था के तहत यदि कोई लेनदेन असफल हो जाता है या तकनीकी खामी के कारण ग्राहक के खाते से पैसा कटकर भी लाभार्थी तक नहीं पहुंचता, तो बैंक उस लेनदेन को दोबारा एनपीसीआई को सीधे भेजकर रिफंड की प्रक्रिया शुरू कर सकेंगे।
फायदा किसे होगा?
1. ग्राहकों को जल्दी पैसा वापस मिलेगा, धोखाधड़ी की संभावना कम होगी।
2. बैंकों का समय बचेगा, एनपीसीआई की मंजूरी का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
3. सरकार के डिजिटल पेमेंट सिस्टम में भरोसा और पारदर्शिता बढ़ेगी।
गलत ट्रांजैक्शन की स्थिति में क्या करें?
1. बैंक से संपर्क करें : अपने बैंक या यूपीआई सेवा प्रदाता (जैसे गूगल पे, फोनपे) को तुरंत सूचित करें। लेनदेन आईडी, राशि, तारीख और गलत यूपीआई आईडी जैसे विवरण प्रदान करें।
2. प्राप्तकर्ता से संपर्क करें : यदि प्राप्तकर्ता का फोन नंबर या यूपीआई आईडी उपलब्ध है, तो उनसे राशि वापस करने का अनुरोध करें।
3. एनपीसीआई से शिकायत करें : यदि कोई समाधान नहीं मिलता, तो एनपीसीआई की वेबसाइट पर शिकायत दर्ज करें।
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