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Death Anniversary: कभी राजनीति में नहीं आना चाहते थे राजीव गांधी, लेकिन बन गए पायलट, जानिए उनके जीवन का सफर

नई दिल्ली (New Delhi)। आज (21 मई) को देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की पुण्य तिथि (death anniversary) है। अपने छोटे से राजनीतिक जीवन में उन्होंने कई ऐसे काम किए जिसके लिए वह आज भी याद किए जाते हैं। आज के इस मौके पर हम उन्हें उनके जीवन की कुछ ऐसी बातों से याद कर रहे हैं जो कितने भी साल हो जाएं, भुलाई नहीं जा सकती।

यह वह दिन है जब दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री की एक चुनावी रैली के दौरान एक आत्मघाती हमले में हत्या कर दी जाती है। वह प्रधानमंत्री कोई और नहीं, राजीव गांधी थे। आज उनकी पुण्यतिथि है।



बता दें कि हर साल 20 अगस्त को राजीव गांधी के जन्मदिन को सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कांग्रेस देशभर में विशेष आयोजन करती है। पार्टी कार्यकर्ता और नेता राजीव गांधी को श्रद्धांजलि देते हैं और उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते है। इस दिन उनकी समाधि स्थल वीरभूमि पर उनका पूरा परिवार, करीबी मित्र , रिश्तेदार और कांग्रेस के प्रमुख नेता इकट्ठा होते हैं। इसके अलावा, दूसरी पार्टियों के नेता भी उन्हें श्रद्धांजलि देने वीरभूमि जाते हैं।

दून स्कूल से हुई पढ़ाई
राजीव गांधी का बचपन अपने दादा के साथ नई दिल्ली के तीन मूर्ति हाउस मे बीता।
शुरुआत में उन्हें पढ़ने के लिए देहरादून के वेल्हम स्कूल भेजा गया, लेकिन जल्द ही यहां से उन्हें आवासीय दून स्कूल में भेज दिया गया।
उनके छोटे भाई संजय गांधी को भी इसी स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा गया।

स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद राजीव गांधी लंदन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज गए, लेकिन यहां उनका मन नहीं लगा।
इसके बाद वे इंपीरियल कालेज गए, जहां से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
कैंब्रिज के दौरान ही उनकी मुलाकात इटली की रहने वाली सोनिया मैनो से हुई थी, जो वहां अंग्रेजी की पढ़ाई कर रही थीं।
राजीव और सोनिया ने 1968 में नई दिल्ली में शादी कर ली।

राजनीति नहीं, संगीत में थी रुचि
राजीव गांधी की राजनीति में कोई रुचि नहीं थी। उनकी रुचि संगीत में थी। उन्हें शास्त्रीय संगीत और आधुनिक संगीत दोनों पसंद था। इसके अलावा, फोटोग्राफी, रेडियो सुनने और विमान उड़ाने का भी उन्हें शौक था। उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब की प्रवेश परीक्षा पास कर वाणिज्यिक पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया, जिसके बाद वे जल्द ही इंडियन एयरलाइंस के पायलट बन गए।

एक दुर्घटना ने बदली जिंदगी
1980 में एक विमान दुर्घटना में अपने भाई संजय गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी ने न चाहते हुए भी राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने भाई की सीट अमेठी पर हुए संसदीय उपचुनाव में जीत हासिल की और सांसद बने। 31 अक्टूबर 1984 को अपनी मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वे कांग्रेस अध्यक्ष और फिर देश के प्रधानमंत्री बने।

राजीव गांधी को किसने और क्यों मारा
राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के पेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान आत्मघाती हमले में मौत हो गई। धनु नाम की एक लिट्टे समर्थक महिला ने राजीव को फूलों का हार पहनाने के बाद अपने कमर में बंधे विस्फोटकों में ब्लास्ट कर दिया।

राजीव गांधी की हत्या के सभी दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने किया रिहा
राजीव गांधी की हत्या के सभी दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया है। ये सभी दोषी उम्रकैद की सजा काट रहे थे। इन दोषियों में नलिनी, एजी पेरारिवलन, श्रीहरन, संधन, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और आर पी रविचंद्रन शामिल हैं। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बी वी नागरत्न की बेंच ने दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था।

राजीव गांधी की हत्या की साजिश लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स आफ तमिल ईलम) ने रची थी। वह लिट्टे विद्रोहियों को काबू में करने के लिए भारतीय सैनिकों को श्रीलंका भेजने के फैसले से नाराज था। हत्या के मुख्य अभियुक्त शिवरासन ने गिरफ्तार होने से पहले साइनाइड खा लिया था। हत्या की जांच के लिए सीआरपीएफ के आईजी डॉक्टर डीआर कार्तिकेयन के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल का गठन किया गया था। इस मामले में लिट्टे के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था।

प्रधानमंत्री बनने के बाद राजीव का भी विवादों से दामन जुड़ गया। भोपाल गैस कांड, शाहबानो प्रकरण, लिट्टे और फिर बोफोर्स की खरीददारी ने राजीव के दामन पर दाग के छीटें लगा दिए थे। बोफोर्स के बुलबुले ने राजीव गांधी से अगले चुनावों में प्रधानमंत्री पद की कुर्सी छीन ली, जिसके बाद वो करीब दो वर्षों तक विपक्ष में रहे। अगले आम चुनावों में कांग्रेस के जीतने के साथ-साथ राजीव के प्रधानमंत्री बनने की संभावना बहुत कम थी, लेकिन इसी दौरान वो घटना घट गई जिसका अंदाजा किसी को नहीं था।

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