
नई दिल्ली। दिल्ली ब्लास्ट (Delhi blast) में डॉ. शाहीन (Dr. Shaheen) की गिरफ्तारी व आतंकी संगठन से जुड़ाव के बाद कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज (GSVM Medical College) के डॉक्टर और स्टाफ सकते में है। शाहीन यहीं के फार्माकोलॉजी विभाग में सात साल बतौर प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष रहीं। सितंबर 2009 में कन्नौज तबादला होने और छह माह बाद लौटने के बाद उसका व्यवहार और मिजाज पूरी तरह बदल गया था। वह किसी से ज्यादा बात नहीं करती और परिसर में रहने के बाद भी ज्यादा मेलजोल नहीं था। यहां तक कॉलेज परिसर में होने वाले समारोह में भागीदारी भी कम रही। सूत्र बताते हैं कि कन्नौज तबादला होने के बाद ज्यादातर समय वह यहीं देखी जाती थी। डॉ. शाहीन स्पष्ट कहती थी कि कन्नौज से कानपुर या लखनऊ तबादला नहीं हुआ तो नौकरी छोड़ देगी। कन्नौज मेडिकल कॉलेज (Kannauj Medical College) में रहना सजा से कम नहीं है। वह कहती थी कुछ बड़ा काम करना है।
सूत्र बताते हैं कि डॉ. शाहीन भारत में रहना ही नहीं चाहती थी। उसे विदेशी रहन-सहन ज्यादा पसंद था। अक्सर बातचीत में वह कहती थी कि उसे बड़ा कुछ काम करना है। उसने आजतक जितने भी सपने देखे, एक-एक करके सभी को पूरा करेगी। एक सितंबर 2012 से 31 दिसंबर 2013 तक डॉ. शाहीन फार्माकोलॉजी विभागाध्यक्ष रही, अचानक गायब होने के वक्त भी वह विभागाध्यक्ष का दायित्व संभाल रही थी।
बेटों को भी ज्यादा घुलने नहीं दिया
सूत्रों के अनुसार, कॉलेज परिसर के आवास नंबर एल-29 में शाहीन पति डॉ. जफर हयात और दोनों बेटों के साथ रहती थी। दूसरी मंजिल में आवास होने के कारण वह नीचे काफी कम ही दिखती थी। यहां तक बच्चों को भी दूसरे डॉक्टरों के बच्चों से ज्यादा घुलने-मिलने नहीं देती थी। कई बार साथी प्रोफेसरों ने उसे टोका भी तो बहानेबाजी करके बात खत्म कर दी।
किसी न किसी बहाने से मांगती थी छुट्टी
सूत्र बताते हैं कि कन्नौज से लौटने के बाद डॉ. शाहीन का मन विभागीय कार्य में तनिक भी नहीं लगता था। मेरिट के हिसाब से उसे फार्माकोलॉजी मिला था, शुरुआत में तो बेहतर काम किया। कुछ समय बाद वह शांत और दूसरों से कन्नी काटने लगी। साथ ही किसी न किसी बहाने से छुट्टी मांगती रहती थी। इसको लेकर कई बार तत्कालीन कॉलेज प्रबंधन और सहयोगियों ने आपत्ति भी दर्ज कराई। कई बार तो बिना बताए ही अचानक चली गई तो फटकार भी लगाई गई। हालांकि उसके रवैए में कोई सुधार नहीं आया।
एटीएस परत दर परत खंगाल रही
डॉ. शाहीन का अतीत एटीएस परत दर परत खंगालने में जुटी है। मंगलवार को उसके लखनऊ स्थित पैतृक आवास और कानपुर के गणेश शंकर विद्य्रार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में छानबीन करने के बाद बुधवार को खुफिया एजेंसी की टीम प्रयागराज स्थित उस मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज भी पहुंच गई है, जहां से डॉ. शाहीन ने मेडिकल की पढ़ाई की थी। टीम उससे जुड़े रिकॉर्ड खंगाल रही है। टीम ने मेडिकल कॉलेज के प्रशासनिक भवन से लेकर हॉस्टल तक शाहीन से जुड़े रिकॉर्ड खंगाले और जानकारी ली। उधर, डॉ. शाहीन के आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की जानकारी से मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर से लेकर छात्र तक स्तब्ध हैं।
दिल्ली में लालकिला के पास सोमवार शाम कार धमाके के एक दिन पहले डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी हुई थी। लखनऊ की शाहीन ने मेडिकल कॉलेज से वर्ष 2002 में एमबीबीएस और वर्ष 2006 में फार्माकोलॉजी में एमडी की डिग्री हासिल की थी। सूत्रों की मानें तो खुफिया विभाग की तीन सदस्यीय टीम बुधवार को मेडिकल कॉलेज पहुंची। टीम ने शिक्षकों से पूछताछ के साथ ही डॉ. शाहीन की प्रवेश प्रक्रिया, शैक्षणिक रिकॉर्ड, इंटर्नशिप से जुड़े अभिलेखों की पड़ताल की। इस दौरान पता चला कि वह शांत स्वभाव की थी लेकिन पढ़ने में काफी तेज थी।
डॉ. शाहीन मेडिकल कॉलेज के जिस महिला छात्रावास में रहती थी, वहां भी टीम ने पहुंचकर जानकारी ली। डॉ. शाहीन के कुछ सहपाठियों का पता व नंबर भी लिया गया ताकि पढ़ाई के दौरान उसकी गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की जा सके। सूत्रों के अनुसार, टीम ने डॉ. शाहीन का पढ़ाई के दौरान क्या किसी संगठन से जुड़ाव था, उसका रवैया कैसा था, वह कॉलेज के बाहर किन-किन लोगों से मिलती थी, क्या पढ़ाई पूरी करने के बाद कभी उसका प्रयागराज आना हुआ, जैसे कई सवालों की गहनता से पड़ताल की है। हालांकि, टीम आने के बारे में मेडिकल कॉलेज प्रशासन कुछ भी बताने से गुरेज कर रहा है।
सोशल मीडिया पर पुरानी तस्वीर वायरल
डॉ. शाहीन के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान सहपाठियों के साथ उसकी एक ग्रुप फोटो वायरल हुई है। इसमें शाहीन के अलावा दो छात्राएं और सात छात्र दिख रहे हैं। फोटो कॉलेज में हुई किसी पार्टी की लग रही है। आतंकवाद की निंदा करते हुए इस पोस्ट पर लोग डॉ. शाहीन को लेकर तरह-तरह के कमेंट भी कर रहे हैं।
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