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मातृभाषा में मौलिक प्रतिभा का विकास हो सकता है अधिक प्रभावी: राष्ट्रपति मुर्मू

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि विज्ञान, साहित्य, सामाजिक शास्त्र में मौलिक प्रतिभा का विकास मातृभाषा से अधिक प्रभावी ढंग से हो सकता है तथा जब शिक्षक मातृभाषा में पढ़ाते हैं तो विद्यार्थी अधिक सहजता से अपनी प्रतिभा का विकास कर सकते हैं।

राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज की ज्ञान अर्थव्यवस्था में विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार विकास के आधार हैं और इन क्षेत्रों में भारत की स्थिति को और मजबूत बनाने की आधारशिला स्कूलों में ही निर्मित होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मानती हूं कि विज्ञान, साहित्य, अथवा सामाजिक शास्त्र में मौलिक प्रतिभा का विकास मातृभाषा के माध्यम से अधिक प्रभावी हो सकता है। हमारी माताएं ही हमारे जीवन के आरंभ में हमें जीने की कला सिखाती हैं।’’

मुर्मू ने कहा कि माता के बाद शिक्षक हमारे जीवन में शिक्षा को आगे बढ़ाते हैं, ऐसे में यदि शिक्षक भी मातृभाषा में पढ़ाते हैं तो विद्यार्थी सहजता के साथ अपनी प्रतिभा का विकास कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन्हीं कारणों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा एवं उच्च शिक्षा के लिये भारतीय भाषाओं के प्रयोग पर जोर दिये गया है।


राष्ट्रपति ने अपने स्कूली शिक्षकों के योगदान के याद किया जिनकी वजह से वह कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली लड़की बनी थीं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की स्कूली शिक्षा दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में से एक है। राष्ट्रपति ने 46 चुनिंदा शिक्षकों को स्कूली शिक्षा में उनके विशिष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, 2022 से सम्मानित किया।

मुर्मू ने कहा कि अपने देश में जब वाद-विवाद-संवाद की संस्कृति को महत्व दिया जाता था तब यहां आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, वराहमिहिर, भास्कराचार्य, चरक, सुश्रुत जैसे गणितज्ञ, वैज्ञानिक, चिकित्सक सामने आए और आधुनिक विश्व के वैज्ञानिक उनकी ऋणि हैं। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि वे विद्यार्थियों में प्रश्न पूछने, शंका करने की आदत को प्रोत्सहित करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि अधिक से अधिक प्रश्नों का उत्तर देने तथा शंकाओं का समाधान करने से शिक्षकों के ज्ञान में भी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि भारत की स्कूली शिक्षा व्यवस्था, दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में शामिल है जहां 15 लाख से अधिक स्कूल हैं। उन्होंने कहा कि देश में 97 लाख शिक्षकों द्वारा 26 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान की जा रही है।

मुर्मू ने अच्छी शिक्षा प्रदान करने को स्कूली स्तर पर असली चुनौती करार देते हुए कहा कि प्रारंभिक स्तर पर अनेक छात्रों को बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान प्राप्त करने में कठिनाई होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे में शिक्षा नीति में वर्ष 2025 तक प्राथमिक स्कूली स्तर पर सभी छात्रों को मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान प्रदान करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि इस राष्ट्रीय प्रयास में देश के सभी शिक्षकों की मुख्य भूमिका होगी क्योंकि शिक्षक ही हमारी शिक्षा प्रणाली की प्राण शक्ति हैं। ज्ञात हो कि शिक्षा मंत्रालय देश के उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए हर वर्ष पांच सितंबर को शिक्षक दिवस पर विज्ञान भवन में एक समारोह का आयोजन करता है। इन शिक्षकों को पारदर्शी और तीन स्तरीय ऑनलाइन चयन प्रक्रिया के जरिए चुना जाता है।


इस वर्ष हिमाचल प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र और तेलंगाना के तीन-तीन शिक्षकों को पुरस्कार दिया गया है। इन चारों राज्यों से जिन शिक्षकों को पुरस्कार दिया गया है, उनमें हिमाचल प्रदेश से युद्धवीर, वीरेंद्र कुमार और अमित कुमार, पंजाब से हरप्रीत सिंह, अरुण कुमार गर्ग और वंदना शाही, महाराष्ट्र से शशिकांत संभाजीराव कुल्ठे, सोमनाथ वमन वाल्के तथा कविता सांघवी और तेलंगाना से कंदला रमैया, टी एन श्रीधर तथा सुनीता राव शामिल हैं।

शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार देने का उद्देश्य देश में शिक्षकों के विशिष्ट योगदान को रेखांकित करना और उन शिक्षकों को सम्मानित करना है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता के दम पर न केवल स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया बल्कि अपने छात्रों का जीवन भी समृद्ध बनाया है।’’

उत्तराखंड से प्रदीप नेगी और कौस्तुभ चंद्र जोशी, राजस्थान से सुनीता और दुर्गा राम मुवाल, मध्य प्रदेश से नीरज सक्सेना और ओम प्रकाश पाटीदार, बिहार से सौरभ सुमन और निशि कुमारी, कर्नाटक से जी. पोनसंकरी और उमेश टीपी, सिक्किम से माला जिग्दाल दोरजी तथा सिद्धार्थ योनजोन को पुरस्कृत किया गया है।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित अन्य शिक्षकों में अंजू दहिया (हरियाणा), रजनी शर्मा (दिल्ली), सीमा रानी (चंडीगढ़), मारिया मुरेना मिरांडा (गोवा), उमेश भारतभाई वाला (गुजरात), ममता अहार (छत्तीसगढ़), ईश्वर चंद्र नायक (ओडिशा), बुद्धदेव दत्त (पश्चिम बंगाल), मिमी योशी (नगालैंड), नोंगमैथम गौतम सिंह (मणिपुर), रंजन कुमार बिस्वास (अंडमान और निकोबार) शामिल हैं।

पुरस्कृत शिक्षकों में से एक भारतीय स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (सीआईएससीई) से, दो केंद्रीय विद्यालय से, दो शिक्षक केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से तथा एक-एक शिक्षक जवाहर नवोदय विद्यालय और एकलव्य आवासीय स्कूल से हैं।

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