
नई दिल्ली । राजस्थान (Rajasthan)की सियासी गलियारों में मानेसर प्रकरण(Manesar incident) को लेकर हलचल तेज है। बीते दिनों सचिन पायलट (Sachin Pilot)को हाई कोर्ट(High Court) से क्लीन चिट(clean chit) मिलने के बावजूद प्रदेश की राजनीति में गर्माहट बनी हुई है। इसी बीच भाजपा नेता और भजन लाल सरकार के वित्त आयोग अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तीखा हमला बोला।
चतुर्वेदी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि गहलोत शायद चाहते हैं कि सचिन पायलट जेल में जाएं, जबकि हाई कोर्ट ने पायलट को क्लीन चिट दे दी है। उन्होंने कहा, “जब कानूनी प्रक्रिया अपने हिसाब से चल रही है और हाई कोर्ट ने पायलट को क्लीन चिट दी है, तो अब गहलोत को इसे मान लेना चाहिए। पुलिस अपनी कार्रवाई नियम अनुसार कर रही है।”
इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है। चतुर्वेदी ने कहा कि पायलट के मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन हाई कोर्ट के फैसले के बाद मामला क्लीन हो गया। इसके बावजूद गहलोत इसे स्वीकार नहीं करना चाहते।
सियासी जुबान का दूसरा मोर्चा कन्हैया लाल हत्याकांड में भी गरमाया। चतुर्वेदी ने कहा कि जब यह घटना हुई, तब गहलोत मुख्यमंत्री थे और उनकी पुलिस सुरक्षा देने में नाकाम रही। अब जब कानून अपना काम कर रहा है, तो गहलोत को आपत्ति क्यों हो रही है।
पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने इस मामले पर कहा कि 2020 के मानेसर प्रकरण में एफआर देने से केस खत्म नहीं होता। उन्होंने कहा, “अगर हाई कोर्ट एफआईआर को क्वेश कर दे, तो अलग बात है। यह सरकार गिराने का एपिसोड केवल थियोरेटिकल नहीं था, बल्कि प्रैक्टिकल था।” गहलोत के बयान ने राजनीतिक चर्चा को और बढ़ा दिया।
राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा दोनों दल इस मामले को लेकर सियासी जंग में हैं। चतुर्वेदी का बयान गहलोत पर सीधे निशाना है और इसे राज्य की राजनीति में बड़ा मोड़ माना जा रहा है।
विश्लेषकों का कहना है कि मानेसर प्रकरण में क्लीन चिट मिलने के बावजूद पायलट और गहलोत के बीच खींचतान जारी है। अब यह देखना होगा कि गहलोत इस बयान पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और पायलट खुद को पूरी तरह सुरक्षित मान सकते हैं या नहीं।
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