नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने साफ किया है कि आपत्तिजनक ऑनलाइन कंटेंट (Objectionable online content) को तुरंत हटाने की मांग करने वाले लोगों को सीधे अदालत आने से पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से संपर्क करना चाहिए। जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि अदालत की कार्यवाही में पेश होने वाले सोशल मीडिया अधिकारी खराब व गलत कंटेंट हटाने के लिए ऐसी शिकायतों पर कोई आपत्ति नहीं करते हैं। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन के पर्सनैलिटी राइट्स (व्यक्तित्व अधिकारों) की रक्षा करते हुए एकतरफा अंतरिम रोक का आदेश देने के दौरान की।
एकतरफा रोक लगाने के संबंध आदेश जारी करने से पहले पीठ ने कहा कि अलग-अलग यूजर्स द्वारा अपलोड की गई अभिनेता की दूसरी महिला सेलेब्रिटीज के साथ एआई से बनी तस्वीरें (जो कथित तौर पर खराब, गलत व पहली नजर में अश्लील हैं) उन्हें सूचना एवं तकनीक अधिनियम के अनुसार हटाने के लिए संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफार्म को रिपोर्ट किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि इसलिए यह साफ किया जाता है कि अगर अब से कोई शिकायतकर्ता/वादी आईटी नियम के तहत दिए गए कानूनी तरीके का इस्तेमाल किए बिना अदालत आता है तो उस पार्टी को एकतरफा अंतरिम रोक का हकदार नहीं माना जा सकता। ऐसे में अदालत उस पार्टी को पहले बताए गए नियम के तहत अपना उपाय इस्तेमाल करने का निर्देश देगा।
पीठ ने आगे कहा कि कानूनी व्यवस्था का मकसद शिकायत करने वाले को असरदार सुधार की प्रणाली देना है, जो कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म खुद उपलब्ध करा रहा है। ऐसे में बेमतलब अदालतों में मुकदमों का बोझ बढ़ाना कई लिहाज से गलत है। अपनी समस्या का हल आसानी से पाना लोगों का मकसद होता है, जोकि हो भी रहा है। इसलिए इस याचिका का निपटारा यहीं किया जाता है।
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