
नई दिल्ली । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली(National Capital Delhi) में लाल किला(Red Fort) के पास सोमवार को हुए शक्तिशाली धमाके(powerful explosions) के बाद फरीदाबाद(Faridabad) की अल-फलाह यूनिवर्सिटी(Al-Falah University) सुर्खियों में है क्योंकि इस आतंकी साजिश के तार इसी यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं। 10 नवंबर को जिस i20 कार में धमाका हुआ था, उसे 28 वर्षीय डॉ. उमर नबी चला रहा था। वह दक्षिण कश्मीर के काजीगुंड का रहने वाला था। उमर की मां के डीएनए नमूनों का घटनास्थल पर मिले अंगों से मिलान होने के बाद उसकी संलिप्तता की पुष्टि हुई है। डॉ. उमर भी अल-फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर था। माना जाता है कि वह सबसे ज्यादा कट्टरपंथी था।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लाल किले धमाकों का आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर मोहम्मद अपनी क्लास में तालिबानी रूल लागू करता था। एक छात्र के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉ. उमर अपने लेक्चर के दौरान क्लासरूम में ‘तालिबान मॉडल’ लागू करता था। MBBS कर रहे एक छात्र ने बताया कि डॉ. उमर एक शिक्षक थे, जिन्हें एक सख्त शिक्षक के रूप में जाना जाता था। वह अपने क्लास में लड़के और लड़कियों को अलग-अलग बैठाया करते थे, जबकि अन्य क्लास में हम साथ-साथ बैठा करते थे। वह इस फरमान के जरिए क्लासरूम में तालिबानी किस्म का रूल स्थापित करना चाहते थे।
मुज़म्मिल से कभी नहीं मिले
हालांकि छात्र ने कहा कि हम मुज़म्मिल से कभी नहीं मिले। छात्रों ने यह भी बताया कि उन लोगों ने कभी भी यूनिवर्सिटी में i20 कार नहीं देखी। छात्रों ने यह भी बताया कि “उमर साहब यहीं यूनिवर्सिटी में ही हॉस्टल में रहते थे। यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों के अनुसार, डॉ. उमर संकोची था और अपनी ही धुन में खोया रहता था। बता दें कि 10 नवंबर के बाद से तीन दिनों में, धमाका मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और कई लोगों को हिरासत में लिया गया है।
अल फलाह यूनिवर्सिटी अस्पताल में नहीं आ रहे मरीज
जैश-ए-मोहम्मद द्वारा रची गई इस अंतरराज्यीय ‘सफेदपोश’ आतंकी मॉड्यूल के नाटकीय पात्रों में एक और सबसे अहम नाम डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई उर्फ मुसैब का है। 10 नवंबर की सुबह फरीदाबाद के अल फलाह विश्वविद्यालय में गनई के किराए के घर से 360 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ है। वह इसी विश्वविद्यालय में काम करता था। गनई दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के कोइल गांव का रहने वाला है। लाल किला विस्फोट के बाद, अल फलाह यूनिवर्सिटी अस्पताल में आने वाले मरीज़ों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। छात्रों का कहना है कि इस घटना ने डर और संदेह का माहौल पैदा कर दिया है।
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