
नई दिल्ली। 2013 से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनाव आयोग (Election Commission) का प्रतिनिधित्व कर रहे एक मोहित डी राम वकील ने आयोग के वकीलों के पैनल से इस्तीफा दे दिया है। वकील ने इस्तीफा में कहा कि- “मैंने पाया कि मेरे मूल्य निर्वाचन आयोग के मौजूदा कामकाज के अनुरूप नहीं हैं और इसलिए मैं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इसके पैनल के वकील की जिम्मेदारियों से अपने आप को मुक्त करता हूं।” उन्होंने कहा मैं अपने कार्यालयों में सभी लंबित मामलों में फाइलों, NOC और वकालतनामाओं का सुचारू रूप से ट्रांसफर (Transfer) करता हूं।
देश में बिगड़ी कोविड -19 स्थिति का जिक्र करते हुए अदालत ने यह भी कहा था कि आयोग आज के हालात के लिए जिम्मेदार एकमात्र संस्था है.
चुनाव आयोग ने इस तरह की मौखिक टिप्पणियों की रिपोर्टिंग पर मीडिया को चुप कराने के लिए अदालत में एक दलील के साथ जवाब दिया, जिसे मद्रास उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने हालांकि यह माना कि उच्च न्यायालय की टिप्पणियां ‘‘कठोर’’ थी और ‘‘बिना सोचे-समझे की गई टिप्पणियों की गलत व्याख्या किए जाने की आशंका होती है।’’
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने मीडिया को चुप कराने से भी इनकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालती कार्यवाही पर मीडिया रिपोर्टिंग सार्वजनिक जांच को बढ़ाती है और यह संस्थागत पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
यह फैसला मद्रास उच्च न्यायालय की टिप्पणी के खिलाफ निर्वाचन आयोग की एक अपील पर आया है।
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