
इंदौर। बिजली विभाग को सबसे अधिक समस्या सरकारी महकमों से राशि वसूल करने में आती है। निजी उपभोक्ताओं के तो कनेक्शन आसानी से बिजली कम्पनी काट देती है। मगर सरकारी विभागों के कनेक्शन इतनी आसानी से नहीं कट पाते हैं। यही कारण है कि अब इंदौर की पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी ने लगभग 13 हजार सरकारी विभागों के बिजली कनेक्शनों को पोस्टपेड की बजाय प्रीपेड में परिवर्तित किया है। यानी आगामी शुल्क लेकर बिजली आपूर्ति जारी रखी जाएगी। दूसरी तरफ कम्पनी ने इंदौर शहर सहित अपने अधीन आने वाले जिलों में लगभग 13 लाख स्मार्ट मीटर अब तक लगा दिए हैं। हालांकि इन मीटरों का विरोध भी किया जा रहा है, क्योंकि इससे बिजली के बिल बढ़ गए।
नगरीय निकायों के साथ-साथ पुलिस विभाग, लोक निर्माण, स्वास्थ्य सहित सभी विभागों को बिजली सप्लाय करने के एवज में भारी-भरकम बिल की राशि भी चुकाना पड़ती है। इंदौर नगर निगम ही नर्मदा के जल वितरण के एवज में जो करोड़ों रुपए की बिजली बिल की राशि हर माह निकलती है उसे आज तक जमा नहीं कर पाया और शासन ही चूंगी क्षतिपूर्ति या अन्य मदों की राशि में से बिजली बिल की राशि काट लेता है। चूंकि बिजली कम्पनी की मजबूरी है कि वह नर्मदा के पम्पों और जलूद स्थित जल वितरण व्यवस्था की बिजली आपूर्ति बंद नहीं कर सकता, जिसके चलते हर महीने बिजली बिल बकाया हो जाता है।
नगर निगम द्वारा अपने मुख्यालय, झोनल कार्यालयों, सडक़, बत्ती सहित अन्य बिलों का भुगतान अवश्य कर देता है। अब बिजली कम्पनी ने इंदौर-उज्जैन संभाग में आने वाले सभी सरकारी विभागों के बिजली बिलों को पोस्टपेड की बजाय प्रीपेड में परिवर्तित किया है। इससे कम्पनी का दावा है कि सरकारी विभागों को अब मजबूरी में अग्रिम भुगातन कर बिजली हासिल करना पड़ेगी। दूसरी तरफ कम्पनी ने लगभग 13 लाख स्मार्ट मीटर भी लगा दिए हैं। इसमें से इंदौर शहर में ही साढ़े 5 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लग चुके हैं। इसके अलावा कम्पनी के अधीन आने वाले महू, खरगोन, धार, झाबुआ में तो शत-प्रतिशत स्मार्ट मीटर लग चुके हैं। बिजली कम्पनी द्वारा प्रीपेड बिलिंग पर 0.25 पैसे प्रति यूनिट की छूट भी उपभोक्ताओं को दी जाती है। इसका लाभ भी इन 13 हजार सरकारी विभागों को भी मिलेगा। दूसरी तरफ केन्द्र सरकार ने पिछले दिनों जो एक नई अधिसूचना जारी की थी उसके चलते विद्युत नियामक आयोग ने नवकरणीय ऊर्जा क्रय दायित्व के उल्लंघन से संबंधित सभी याचिकाओं को समाप्त कर दिया। दरअसल, पूर्व में इंदौर सहित तीनों बिजली कम्पनियों और विभिन्न संस्थाओं के खिलाफ ये याचिकाएं दायर की गई थीं। मगर अब चूंकि नवकरणीय ऊर्जा उपभोग की निगरानी और दायित्व का निर्धारण सीधे केन्द्र सरकार की नई व्यवस्था के तहत किया गया है।
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