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फंडिंग बढ़ाने पर जोर, सात साल में 186 गुना बढ़े स्टार्टअप; दुनिया का हर 13वां यूनिकॉर्न भारत में

नई दिल्ली। साल 2022 स्टार्टअप कंपनियों के लिए काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा। फंडिंग के मोर्चे पर स्टार्टअप को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पीडब्ल्यूसी इंडिया के मुताबिक, पिछले साल स्टार्टअप कंपनियों में सिर्फ 35.6 अरब डॉलर का निवेश हुआ, जो 2021 के 53.7 अरब डॉलर के मुकाबले 35 फीसदी कम है। फंडिंग के मोर्चे पर भारतीय स्टार्टअप उतना प्रभावित नहीं हुआ, जितना अमेरिका और चीन में असर पड़ा है। भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम का आधार काफी मजबूत है।

जीएसटी क्रेडिट का इस्तेमाल
बजट में स्टार्टअप को सरकारी बैंकों में जमा अपने जीएसटी क्रेडिट का इस्तेमाल कोलेटरल के रूप में करने की इजाजत मिल सकती है। इससे फंडिंग की दिक्कतें दूर होंगी।

सीड फंडिंग पर प्रोत्साहन
सीड स्टेज फंडिंग पर एंजल निवेशकों का पूल बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन की घोषणा हो सकती है। इसके तहत सीड कैपिटल जारी होने के साल में 30 फीसदी तक छूट देने का प्रावधान किया जा सकता है।

…तो यूनिकॉर्न के साथ बढ़ेंगे रोजगार
इन संभावनाओं को देखते हुए सरकार भी आगामी बजट में कुछ ऐसे प्रावधान कर सकती है, जिससे स्टार्टअप कंपनियों को फंडिंग की चुनौतियों से उबरने में मदद मिलेगी। सरकार अगर राहत देती है तो न सिर्फ स्टार्टअप के विस्तार में मदद मिलेगी बल्कि यूनिकॉर्न की संख्या में भी इजाफा होगा। रोजगार भी बढ़ेंगे।

प्रतिस्पर्धा के लिए एफडीआई पर कर छूट
टार्टअप इकोसिस्टम के विस्तार के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) पर टैक्स प्रोत्साहन मिल सकता है। इस पर विचार चल भी रहा है। इससे घरेलू स्टार्टअप को वैश्विक कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।

लागू हो सकता है सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम
स्टार्टअप में निवेश करने और उसमें से बाहर निकलने यानी एग्जिट प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है। स्टार्टअप के लिए अलग से सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम लागू किया जा सकता है। इसके अलावा, ओएनडीसी मंच पर शुल्क और लॉजिस्टिक्स में छूट मिल सकती है।


उद्योग : लागत घटाकर निर्यात बढ़ाने पर जोर
वर्तमान में उद्योगों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT), मशीन लर्निंग जैसे नए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल बढ़े हैं। इससे इस सेगमेंट में कर प्रोत्साहन की उम्मीद है। सरकार लागत घटाकर निर्यात बढ़ाने और अन्य बाधाओं से निपटने के लिए नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी (NLP) को लागू कर सकती है। इसके अलावा, जीएसटी के भुगतान में लगने वाले ब्याज दर को भी 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी किया जा सकता है।

निर्यातकों के लिए दोहरी कर कटौती योजना
भारत विनिर्माण में चीन की जगह लेता जा रहा है। मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी की मदद से भारत दुनिया का दूसरा सर्वाधिक स्मार्टफोन बनाने वाला देश बन चुका है। सस्ती दरों पर कर्ज देने, आयात शुल्क में बदलाव और फंड के निर्माण जैसे उपायों की घोषणा संभव है। रुपये में गिरावट के बीच प्रतिस्पर्धी निर्यात के लिए मदद की जरूरत है।

एमएसएमई को सस्ती दर पर कर्ज मुहैया कराने की उम्मीद
सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र अर्थव्यवस्था के तेजी से विस्तार और गतिशील क्षेत्रों में एक है। क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए सरकार बजट में ऐसी योजनाएं ला सकती है, जिससे क्षेत्र को सस्ती दरों पर कर्ज मिल सके। इस क्षेत्र को क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE) पर ब्याज दर में कटौती की उम्मीद है।

पीएलआई : घरेलू विनिर्माण बढ़ाने के लिए कुछ और क्षेत्रों को लाभ संभव
घरेलू विनिर्माण को बढ़ाने के लिए सरकार 2023-24 के बजट में खिलौनों, साइकिल, चमड़ा और जूता-चप्पल समेत अन्य क्षेत्रों के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना की घोषणा कर सकती है। आईटी हार्डवेयर को 17,000 करोड़ रुपये तक की प्रोत्साहन योजना का लाभ मिल सकता है। वहीं, फार्मा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 2,500 करोड़ की अतिरिक्त मदद की घोषणा संभव है।

अब तक 100 से ज्यादा एमएसएमई को मिल चुका है इसका लाभ
पीएलआई से जुड़ी 13 योजनाओं के तहत अब तक 650 से ज्यादा आवेदनों को मंजूरी दी जा चुकी है। यह योजना खासतौर पर उभरते और रणनीतिक क्षेत्रों में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने, सस्ते आयात में कमी लाने, आयात बिल को घटाने और घरेलू क्षमता में वृद्धि के लिए तैयार की गई है। – उद्योग मंत्रालय

आवंटन में 30 फीसदी तक वृद्धि की उम्मीद
पीएलआई एक ऐसी योजना है, जिसका असर जमीनी स्तर पर दिख रहा है। ऐसे में बजट में इसके आवंटन में 20-30 फीसदी की वृद्धि संभव है। इस योजना का विस्तार करना एक ऐसा उपाय है, जिस पर सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है। कई क्षेत्रों में अनुपालन को आसान बनाने की भी योजना है।

2,03,952 करोड़ का उत्पादन
सितंबर, 2022 तक एलएसईएम (बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण) के लिए योजना ने 4,784 करोड़ का निवेश आकर्षित किया है। 80,769 करोड़ के निर्यात सहित 2,03,952 करोड़ रुपये का उत्पादन हुआ है।

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