
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा कि सरकार केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक लाने जा रही है, ताकि जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर समाप्त होने के बाद भी तंबाकू उत्पादों पर कुल कर भार कम न हो। वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि कोविड-19 अवधि के दौरान राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए, लिए गए ऋण को केंद्र सरकार आने वाले कुछ हफ्तों में चुकता कर देगी।
सीतारमण ने 1 दिसंबर को लोकसभा में दो अहम विधेयक पेश किए, जिनके तहत तंबाकू उत्पादों और पान मसाला पर कर व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया जाएगा। सरकार का यह कदम सिन गुड्स पर कर ढांचे को नया रूप देने जा रहा है।
पहला विधेयक केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन), 2025 वर्तमान में लागू जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस की जगह लेगा। अभी यह सेस सिगरेट, चबाने वाले तंबाकू, सिगार, हुक्का, जर्दा और सुगंधित तंबाकू सहित सभी तंबाकू उत्पादों पर लगाया जाता है।
इस विधेयक का उद्देश्य जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस खत्म होने के बाद भी इन उत्पादों पर कर बोझ को सुरक्षित रखना है। विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में स्पष्ट कहा गया है कि यह सरकार को तंबाकू और उसके उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क बढ़ाने की वित्तीय गुंजाइश देगा, ताकि कुल टैक्स भार में गिरावट न आए।
इस नए ढांचे के तहत सिगरेट, सिगार और चिरूट पर ₹5,000 से ₹11,000 प्रति 1,000 स्टिक की दर से उत्पाद शुल्क लगाने का प्रस्ताव है। वहीं, बिना प्रसंस्कृत तंबाकू पर 60 से 70% और निकोटिन व इनहेलेशन आधारित उत्पादों पर 100% उत्पाद शुल्क का प्रावधान किया गया है। अभी सिगरेट पर 5% मूल्यानुसार क्षतिपूर्ति के अलावा लंबाई के आधार पर ₹2,076 से ₹3,668 प्रति 1,000 स्टिक तक का क्षतिपूर्ति सेस लगाया जाता है।
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