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फडणवीस और अजित पवार की जमने लगी जोड़ी, बैठक में अकेले नजर आए एकनाथ शिंदे

मुंबई (Mumbai)। महाराष्ट्र की सरकार में एक नया समीकरण देखने को मिलने लगा है। दोनों ही उपमुख्यमंत्रियों- देवेंद्र फडणवीस (Devednra Fadnavis) और अजित पवार (Ajit Pawar) की जोड़ी जमने लगी है। इस तिकड़ी में शामिल मुख्मयंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। मंगलवार को इसकी बानगी भी देखने को मिली। कैबिनेट बैठक के तुरंत बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने दोनों डिप्टी सीएम के साथ अलग से अक बैठक की। हालांकि, विभागों के वितरण पर मतभेदों के कारण बैठक बेनतीजा रही और तीनों को निर्णय टालने के लिए मजबूर होना पड़ा। सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट बैठक के दौरान बमुश्किल बोलने वाले सीएम शिंदे की नाराजगी साफ झलक रही थी।

एक अधिकारी ने कहा, ”उनकी और उनके मंत्रियों की शारीरिक भाषा संयमित थी, जबकि अजित पवार खेमा आक्रामक दिख रहा था। इसके अलावा अजित पवार और देवेंद्र फड़णवीस की दोस्ती अधिक मित्रतापूर्ण देखी गई। इससे यह आभास हुआ कि शिंदे अलग-थलग पड़ गए हैं।”


विभागों के बंटवारे पर नहीं बन रही बात
विभागों के बंटवारे पर चर्चा के लिए तीनों नेता बुधवार को फिर बैठक करने वाले हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ”अजित पवार खेमा वित्त, ऊर्जा, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, ग्रामीण विकास, जल संसाधन और महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की मांग कर रहा है। वहीं, शिंदे गुट अजित पवार को वित्त विभाग देने का कड़ा विरोध कर रहा है। ऐसा माना जाता है कि पिछवी एमवीए की सरकार में अजित पावर के वित्त मंत्री रहते हुए फंड के असंगत वितरण के कारण शिंदे ने विद्रोह किया था। सीएम ने अपनी पार्टी के मंत्रियों के विभागों में फेरबदल के विचार का भी विरोध किया है, जिसका प्रस्ताव भाजपा ने दिया था।”

एनसीपी को सरकार में शामिल करने पर शिंदे गुट परेशान
शिंदे खेमा काफी परेशान है। विधायक संजय शिरसाट, भरत गोगावले और मंत्री दीपक केसरकर ने बीजेपी द्वारा नया सहयोगी जोड़ने पर सवाल उठाया है। ऐसा कहा जा रहा है कि अजित पवार को सरकार में शामिल करने से पहले एकनाथ शिंदे से नहीं पूछा गया था। शिंदे खेमे के एक विधायक ने कहा, ”हमारे पास पूर्ण बहुमत था तो ऐसा करने की आवश्यकता कहां थी?”

‘शिवसेना के साथ न्याय करेगी भाजपा’
उन्होंने कहा, ”गुस्सा करके हमें क्या हासिल होगा? हम स्थिति को स्वीकार करेंगे और आगे बढ़ेंगे। जिन लोगों को एक भाकरी (रोटी) मिलनी थी उन्हें अब आधी मिलेगी और जिन्हें आधी मिलनी थी उन्हें अब चौथाई मिलेगी।” यह पूछे जाने पर कि क्या शिवसेना विधायक अजित पवार को वित्त विभाग मिलने को लेकर आशंकित हैं, गोगावले ने कहा कि उनका मानना है कि भाजपा, शिवसेना के साथ न्याय करेगी।

शिवसेना नेता गजानन कीर्तिकर ने भी कहा कि अगर शिवसेना को कम विभाग मिले तो ठीक है। उन्होंने कहा, ”लोकसभा चुनाव जीतने और शरद पवार को खत्म करने के लिए एनसीपी को शामिल किया गया है। हमारे कुछ विधायक जो मंत्री पद चाहते थे वे नाराज हैं लेकिन यह कोई बड़ी समस्या नहीं है।”

मंत्री पद की आस में बैठे विधायकों को झटका
इस बीच, सूत्रों ने दावा किया है कि मंत्री पद चाहने वाले कुछ विधायकों ने शिंदे से खुले तौर पर कहा था कि वह उनसे की गई प्रतिबद्धताओं से मुकर गए हैं। मंगलवार शाम को पार्टी के मंत्रियों ने इस मुद्दे के समाधान और सरकार में एनसीपी के शामिल होने के प्रभाव पर चर्चा करने के लिए शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के आवास पर बैठक की।

भाजपा नेता भी एनसीपी में विभाजन पर लोगों की प्रतिक्रियाओं से परेशान थे। भाजपा नेता ने कहा, ”जिस पार्टी के खिलाफ हमने इतने सारे आरोप लगाए, उससे हाथ मिलाने से मतदाता खुश नहीं हैं। कुछ नेता भी निराश हैं, क्योंकि पार्टी के वफादार कार्यकर्ताओं को सत्ता-साझाकरण से बाहर रखा गया है। लेकिन पार्टी नेतृत्व आश्वस्त था कि लोकसभा चुनाव के लिए यह कदम जरूरी था।”

एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि अजित पवार और एकनाथ शिंदे खेमे को लगभग 13-13 मंत्री पद मिलने की उम्मीद है, जबकि भाजपा लगभग 16 मंत्री पद बरकरार रखेगी। उन्होंने कहा, “शिंदे खेमा भले ही शोर मचा रहा हो, लेकिन अजित पवार गुट के शामिल होने के बाद उसने सौदेबाजी की अपनी शक्ति खो दी है। उसे भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के आदेशों का पालन करना होगा।”

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