भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

फऱीद बज़मी का लंबी बीमारी के बाद निधन, पुलिस सम्मान के साथ अंतिम विदाई

शुक्रिया ऐ क़ब्र तक पहुंचाने वालो शुक्रिया
अब अकेले ही चले जाएँगे इस मंजिल से हम।

फऱीद बज़मी साहब आज अल सुबह कोई पौने चार बजे चल बसे। 62 बरस के फऱीद भाई गुजिश्ता डेढ़ साल से आहार नली के कैंसर से लड़ रहे थे। 5 महीने से वो पालीवाल अस्पताल में ज़ेरे इलाज थे। उनकी हालत बहुत नाजुक थी। नाक में राईल ट्यूब से बमुश्किल कुछ लिक्विड ले पाते थे। मल्टी ऑर्गन फेलियर उनकी मौत की वजह बना। जो भी उनकी अयादत (बीमार का हाल पूछना) को जाता उससे वो कुछ बोलना चाहते लेकिन मुंह से आवाज़ नहीं निकलती थी। फऱीद भाई पुलिस हेडक्वार्टर में डीएसपी (ग्रंथपाल) के ओहदे से इसी साल मार्च में सुबुकदोश (रिटायर) हुए थे। फऱीद भाई 1980 में पुलिस की नोकरी में आये। 1995 में ये पीएचक्यू में केंद्रीय ग्रंथपाल (डीएसपी रेंक) के ओहदे पे नियुक्त हुए। इनकी कोशिशों से पुलिस हेड क्वाटर की लाइब्रेरी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन से सुसज्जित सूबे की पहली लायब्रेरी बनी। उन्हें लाइब्रेरी साइंस में रिसर्च के बाद पीएचडी की उपाधि दी गई। मरहूम पुलिस महकमे में साइबर लॉ के एक्सपर्ट माने जाते थे। साल 2005 में फऱीद बज़मी ने साइबर क्राइम पर जो किताब लिखी उसे मरकजी (केंद्र) सरकार का जीबी पंत अवार्ड मिला।



इनकी सराहनीय खिदमात के लिए भारतीय पुलिस पदक आईपीएम मिला। साल 2020 में उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक पीपीएम से नवाजा गया। अपनी तश्वीस्नाक हालत के बावजूद पुलिस रेगुलेशन एक्ट के अपडेशन पर बहुत उपयोगी किताब पूरी की। शायद वो जानते थे कि उनके पास ज़्यादा वक्त नहीं है। इस किताब का इजरा (विमोचन) एडीजी (ट्रेनिंग) अनुराधा शंकर ने पालीवाल अस्पताल पहुंचकर फऱीद भाई के हाथों से कराया था। फऱीद बज़मी बंसी कौल के नाट्य ग्रुप ‘रंग विदूषकÓ से लंबे अरसे तक वाबस्ता रहे। इस ग्रुप के साथ इन्होंने कई मुल्कों का सफर किया। वे यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी गए। पुलिस महकमे के लिये फऱीद बज़मी ने महिला सशक्तिकरण, कमज़ोर वर्ग के लिए ‘आत्महत्याÓ जैसे मौज़ूआत पे बीएसएफ के साथ मिल कर कई नाटक प्ले किये। आपने 200 से ज़्यादा नाटकों में भागीदारी की। वो अपने फऩ और सब्जेक्ट के माहिर इंसान थे। भोपाल के थियेटर हलके में उनका नाम बड़ी इज़्ज़त के साथ लिया जाता था। फऱीद भाई बड़े संजीदा इंसान थे। वो बड़े कऱार के साथ अपनी मकनातीसी (चुम्बकीय) आवाज़ में जब बोलते तो सुनने वाले उनसे बहुत मुतास्सिर होते। वो बेहद जिंदादिल और खुशमिजाज इंसान थे। उनके चेहरे पे एक संजीदा मुस्कान हमेशा बनी रहती। वो दैनिक भास्कर के समाचार संपादक अलीम बज़मी के बड़े भाई थे। उनकी शरीके हयात दुर्रे-शावर खान प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं। उनकी एक बेटी है। मरहूम का आखरी सफर इब्राहिमपुरा के निवास एसके काम्प्लेक्स, यूपी हैंडलूम शोरूम के पास से दोपहर 2 बजे शुरू होगा। उनकी नमाज़े जनाज़ा ओल्ड सेफिया कॉलिज के नज़दीक कब्रिस्तान के शेड में होगी। यहीं उन्हें सुपुर्दे खाक किया जाएगा। फऱीद बज़मी को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए पुलिस सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। फऱीद भाई आप हमेशा अपने चाहने वालों की यादों में रहोगे। आपको अग्निबाण परिवार की तरफ से खिराजे अक़ीदत।

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