
नई दिल्ली । लद्दाख (Ladakh)में 24 सितंबर को हुई हिंसा के बाद केंद्रशासित प्रदेश(Union Territories) के नेताओं ने बुधवार को पहली बार गृह मंत्रालय(Home Ministry) के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात(Meeting with representatives) की है। यह मुलाकात लद्दाख में हाल ही में राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद हुई है। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार वांगचुक फिलहाल जोधपुर जेल में बंद हैं।
बैठक के दौरान लद्दाख के प्रतिनिधियों ने सोनम वांगचुक सहित सभी गिरफ्तार नेताओं की तत्काल रिहाई की मांग की है। वहीं ‘लेह एपेक्स बॉडी’ (एलएबी) और ‘करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस’ (केडीए) ने मारे गए लोगों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाने की भी मांग की है।
सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद
इस बैठक में भाग लेने वाले लद्दाख से लोकसभा सदस्य मोहम्मद हनीफा ने कहा है कि लद्दाख के नेताओं ने खुले मन से इसमें भाग लिया ताकि केंद्रशासित प्रदेश को राज्य का दर्जा देने की मांग का सकारात्मक परिणाम आ सके। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी पहली बैठक थी और हम इससे बहुत अधिक उम्मीद नहीं कर सकते लेकिन हमने 24 सितंबर या उसके बाद गिरफ्तार किए गए सभी लोगों जिनमें सोनम वांगचुक भी शामिल हैं, की तत्काल रिहाई की मांग उठाई।’’ वहीं ‘करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस’ के सज्जाद करगिली ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि सरकार हमारी मांगों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देगी।’’
मई में हुई थी पिछले दौर की वार्ता
इससे पहले लेह में 24 सितंबर को व्यापक हिंसा के दौरान चार प्रदर्शनकारियों के मारे जाने और कई लोगों के घायल होने के बाद केंद्र, एलएबी और केडीए के बीच बातचीत रुक गई थी। दोनों पक्षों के बीच पिछले दौर की वार्ता मई में हुई थी। लद्दाख के दोनों संगठन गृह मंत्रालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति के साथ छह अक्टूबर को होने वाली बातचीत से दूर रहे थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने वार्ता के लिए 20 सितंबर को निमंत्रण दिया था।
न्यायिक जांच की घोषणा
वहीं केंद्र ने 17 अक्टूबर को लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसक झड़पों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में न्यायिक जांच की घोषणा की थी। सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोहन सिंह परिहार न्यायिक सचिव के रूप में कार्य करेंगे, जबकि आईएएस अधिकारी तुषार आनंद जांच आयोग के प्रशासनिक सचिव होंगे। जांच आयोग की घोषणा आंदोलनरत पक्षों – लेह एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के साथ बातचीत बहाल करने के प्रयास के रूप में की गई थी जिन्होंने हिंसा के बाद गृह मंत्रालय की उच्चस्तरीय समिति के साथ बातचीत स्थगित कर दी थी।
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