
नई दिल्ली । चौथा स्वदेशी एडवांस्ड स्टील्थ फ्रिगेट ‘तारागिरी’ (Fourth indigenously built Advanced Stealth Frigate ‘Taragiri’) भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल (Inducted into Indian Navy fleet) । मझगांव डॉक शिपबिल्डिंग लिमिटेड (एमडीएल), मुंबई में नीलगिरी क्लास (प्रोजेक्ट 17ए) के चौथे स्वदेशी एडवांस्ड स्टील्थ फ्रिगेट ‘तारागिरी’ को भारतीय नौसेना को डिलीवर कर दिया है।
यह जहाज डॉक शिपबिल्डिंग लिमिटेड की ओर से बनाए गए तीन पी17ए जहाजों में से एक है और भारतीय नौसेना के स्वदेशी युद्धपोत निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। ‘तारागिरी’ को पहले के आईएनएस तारागिरी के नए रूप के रूप में विकसित किया गया है, जो 1980 से 2013 तक भारतीय नौसेना का हिस्सा था। यह नया फ्रिगेट स्टेल्थ तकनीक, उच्च फायरपावर और उन्नत ऑटोमेशन के साथ सुसज्जित है। बता दें कि वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (डब्लूडीबी) की ओर से डिजाइन किया गया और मुंबई स्थित वॉरशिप ओवरसीइंग टीम की ओर से निगरानी की गई इस जहाज को शिपबिल्डिंग में आत्मनिर्भरता के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।
पी17ए क्लास के इस जहाज में स्वदेशी शिप डिजाइन, स्टेल्थ क्षमता और आधुनिक लड़ाकू प्रणालियां शामिल हैं। इसमें ब्रह्मोस एसएसएम, एमएफस्टार रडार, मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल प्रणाली और विभिन्न प्रकार के हथियार जैसे 76 एमएम, एसआरजीएम, 30 एमएम और 12.7 एमएम क्लोज-इन वेपन सिस्टम हैं। साथ ही, यह जहाज एंटी-सबमरीन वॉरफेयर के लिए रॉकेट और टॉरपीडो से लैस है। इसके साथ ही, इसका प्रोपल्शन सिस्टम सीओडीओजी (संयुक्त डीजल या गैस) तकनीक पर आधारित है, जिसमें डीजल इंजन और गैस टर्बाइन शामिल हैं।
‘तारागिरी’ भारतीय नौसेना को मिल रहा चौथा पी17ए जहाज है और इसके निर्माण का समय पिछले जहाजों से लगभग 81 महीने कम हुआ है, जिससे यह प्रदर्शित होता है कि भारतीय शिपबिल्डिंग क्षमता में लगातार सुधार हो रहा है। इस प्रोजेक्ट में 75 प्रतिशत स्वदेशीकरण हुआ है और 200 से अधिक एमएसएमई ने इसमें योगदान किया है, जिससे 4,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और 10,000 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिला है। इस महत्वपूर्ण डिलीवरी से भारतीय नौसेना की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और कदम बढ़ा है और यह देश के रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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