पेरिस। फ्रांस (France) के पेट केयर कंपनी एग्रोबायथर्स लेबोरेटरी (Pet Care Company AgroBythers Laboratory) का दावा है कि छोटे कटोरे (बाउल) जैसे एक्वेरियम में मछलियां पागल (Small Bowl Aquarium fish crazy) हो जाती हैं और जल्दी मर (die early) जाती हैं। इतना ही नहीं, कंपनी ने इस तरह के छोटे बाउल एक्वेरियम (Small Bowl Aquarium) बनाना भी बंद करने का एलान किया है।
कंपनी का कहना है कि वे अब कम से कम 15 लीटर की क्षमता के व चौकोर एक्वेरियम बेचेंगे, जिनमें फिल्टरेशन व ऑक्सीजेनरेशन की सुविधा भी होगी। इन चीजों के बिना किसी एक्वेरियम में मछलियों को रखना उनपर अत्याचार है। कंपनी के सीईओ मैथ्यू लैम्बेक्स का कहना है कि लोग जोश में आकर बच्चों के लिए अक्सर गोल्डन फिश खरीदते हैं।
लेकिन अगर उन्हें पता हो वे असल में उस मछली को कितनी यातना देने जा रहे हैं, तो वे कभी इसे नहीं खरीदेंगे, क्योंकि अक्सर गोल्ड फिश को छोटे बाउल एक्वेरियम में रखा जाता है, जिसमें न तो फिल्टरेशन होता है, न ऑक्सीजेनरेशन की व्यवस्था होती है, इसके अलावा छोटे कटोरे में चक्कर लगा-लगाकर मछली पागल हो जाती है, जिससे जल्दी से मर जाती है।
30 साल है गोल्ड फिश की आयु
बहुत कम लोग जानते हैं कि गोल्ड फिश असल में 30 साल तक जीवित रह सकती है और बड़े एक्वेरियम या मुक्त जल में रखा जाए तो 25 सेमी तक बढ़ सकती है। लोग इन्हें अक्सर छोटे कटोरे में कुछ सेमी तक बड़ा होते और हफ्तों या महीनों के भीतर मरते देखते हैं, जिससे उन्हें लगता है कि इनकी उम्र और आकार बस इतने ही होते हैं।
क्रूरतापूर्ण मौत बेचने से बेहतर है, घाटा सहें
आर्थिक तौर पर यह आत्मघाती फैसला है, क्योंकि एग्रोबायथर्स की इन उत्पादों में फ्रांस के बाजार में 27%की हिस्सेदारी है और पिछले वर्ष औसतन 20 यूरो प्रति बाउल के हिसाब से करीब 50,000 बाउल बेचे हैं। लेकिन, बच्चों की खुशी के लिए फिश की मौत बेचने से बेहतर है, घाटा सहें। -मैथ्यू लैम्बेक्स, सीईओ, एग्रोबायथर्स लेबोरेटरी
अकेले फ्रांस में 23 लाख मछलियों की खपत
फ्रांस एक्वेरियम मछलियों के लिए यूरोप का सबसे बड़ा बाजार है। यहां सालाना करीब 23 लाख मछलियों की खपत है। इसके साथ ही जर्मनी व कई यूरोपीय देश बाउल एक्वेरियम पर प्रतिबंध लगा चुके हैं, लेकिन फ्रांस में इसे लेकर विधायी संकट चल रहा है। हम अपने सभी ग्राहकों को यह समझा या शिक्षित नहीं कर सकते हैं कि एक कटोरे में मछली को रखना क्रूरतापूर्ण है। इसके बजाय हमने तय किया कि हम उपभोक्ताओं को वह विकल्प ही नहीं देंगे।