
डेस्क: महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इस बीमारी से संक्रमित होने वालों की संख्या बढ़कर 207 हो गई है. 14 फरवरी को दो संदिग्ध मरीज और मिले हैं. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, कुल मरीजों में से 180 में जीबीएस की पुष्टि हुई है, जबकि बाकी मरीज में बीमारी के लक्षण हैं और उनका इलाज करने की बात स्वास्थ्य विभाग ने कही है.
वहीं, इस बीमारी के चलते अब तक कुल 9 मरीजों की मौत हो चुकी है, जिसमें से 4 की मौत GBS के चलते और अन्य की GBS के संदिग्ध मरीज के तौर पर हुई है. 13 फरवरी को 9वी मौत कोल्हापुर शहर में हुई. गुइलेन-बैरे सिंड्रोम यानी GBS एक रेयर ऑटोइम्यून विकार है. इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ही तंत्रिकाओं पर हमला करती है.
यह तंत्रिकाओं के कुछ हिस्सों को नुकसान पहुंचाती है. यह तंत्रिकाओं के कुछ हिस्सों को नुकसान पहुंचाती है और मांसपेशियों में कमजोरी, झुनझुनी और पक्षाघात का कारण बनती है. इसके अधिकतर मामले पुणे और पिंपरी चिंचवड़ से हैं. आमतौर पर जीवाणु और वायरल संक्रमण जीबीएस का कारण बनते हैं क्योंकि वे रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं.
इस बीमारी से शरीर के हिस्से अचानक सुन्न पड़ जाते हैं और मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है. इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं. राज्य में ज्यादातर मामले पुणे और आस-पास के इलाकों से हैं. नए मामले सहित, संक्रमण के सभी मामले संभवत: दूषित जल स्रोतों से जुड़े हैं. माना जाता है कि दूषित भोजन और पानी में पाया जाने वाला बैक्टीरिया कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी इस प्रकोप का कारण है.
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