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सरकार और RBI को मिला डेंजर अलर्ट, UPI के 80% कारोबार पर है दो ऐप्स का दबदबा

October 30, 2025

नई दिल्ली: भारत (India) में डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) का चेहरा बदलने वाले यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को आज हर गली-मोहल्ले में इस्तेमाल किया जा रहा है. लेकिन अब फिनटेक सेक्टर से एक बड़ा अलर्ट आया है. मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक इंडस्ट्री निकाय इंडिया फिनटेक फाउंडेशन (IFF) ने सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को पत्र लिखकर चेताया है कि देश के डिजिटल भुगतान सिस्टम में कॉन्सनट्रेशन रिस्क बढ़ता जा रहा है.

IFF के अनुसार, आज भारत में UPI के जरिए जितने भी डिजिटल ट्रांजेक्शन होते हैं, उनमें से 80% से ज्यादा सिर्फ दो थर्ड पार्टी ऐप प्रदाताओं (TPAPs) यानी प्रमुख मोबाइल पेमेंट ऐप्स के जरिए हो रहे हैं. इसका मतलब है कि अगर किसी वजह से इन दोनों में से किसी एक ऐप की सेवाएं बाधित हो जाएं, तो पूरे UPI सिस्टम पर असर पड़ सकता है.


IFF ने अपने 29 अक्टूबर 2025 के पत्र में कहा कि यूपीआई वर्तमान में गंभीर कॉन्सनट्रेशन रिस्क से जूझ रहा है. ऐसे में देश के डिजिटल भुगतान ढांचे को मजबूत रखने के लिए जरूरी है कि प्रतिस्पर्धा बढ़े और बाकी ऐप्स को भी बराबर मौके मिलें. यह पत्र वित्त मंत्रालय और RBI दोनों को भेजा गया है.

राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2025 में UPI के माध्यम से 19.63 अरब लेनदेन हुए, जिनका कुल मूल्य लगभग ₹24.90 लाख करोड़ था. अगस्त 2025 में यह संख्या 20 अरब पार कर गई थी. यह दिखाता है कि भारत में डिजिटल लेनदेन कितनी तेजी से बढ़े हैं, लेकिन साथ ही यह भी कि इनका अधिकांश हिस्सा कुछ चुनिंदा कंपनियों के नियंत्रण में है. IFF ने अपने पत्र में सुझाव दिया है कि सरकार, RBI और NPCI मिलकर UPI प्रोत्साहन नीति (Incentive Mechanism) में बदलाव करें. इससे छोटे और नए TPAPs को अधिक प्रोत्साहन दिया जा सकेगा, ताकि UPI बाजार में प्रतिस्पर्धा बनी रहे और एकाधिकार की स्थिति खत्म हो.

कॉन्सनट्रेशन रिस्क का मतलब होता है किसी सिस्टम का कुछ ही प्लेयर्स पर अत्यधिक निर्भर होना. UPI के मामले में अगर सिर्फ दो ऐप्स 80% कारोबार संभाल रहे हैं, तो किसी तकनीकी खराबी, साइबर हमले या नीतिगत विवाद की स्थिति में पूरे देश का भुगतान नेटवर्क ठप पड़ सकता है. यह स्थिति अर्थव्यवस्था और आम लोगों दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकती है.

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