
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) चीन (China) के तिआनजिन पहुंचे हैं, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे. आज उनकी मुलाकात राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) से होगी, जो 40 मिनट तक चलेगी. यह सात साल बाद पीएम मोदी का चीन दौरा है और दस महीनों में शी जिनपिंग से दूसरी मुलाकात होगी. पिछली मुलाकात ब्रिक्स 2024 सम्मेलन (कजान, रूस) में हुई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन पहुंचे हैं और आज वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे. यह बैठक तिआनजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से पहले होगी. प्रधानमंत्री 31 अगस्त से 1 सितंबर तक उत्तरी चीन के तिआनजिन में SCO सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. पीएम मोदी ने शनिवार को एक्स पर पोस्ट किया, ‘तिआनजिन, चीन पहुंच गया हूं. SCO शिखर सम्मेलन में विचार-विमर्श और विभिन्न विश्व नेताओं से मिलने का इंतजार है.’
यह बैठक स्थानीय समयानुसार दोपहर लगभग 12 बजे (भारतीय समयानुसार सुबह 9:30 बजे) होगी और इसके लिए 40 मिनट का समय निर्धारित किया गया है. दोनों नेताओं की बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब भारत और चीन के रिश्तों में कुछ नरमी आई है. यह मोदी का सात साल बाद चीन का पहला दौरा है और दस महीनों में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी दूसरी मुलाकात होगी. पिछली मुलाकात रूस के कजान शहर में हुए ब्रिक्स 2024 सम्मेलन के दौरान हुई थी.
आमतौर पर किसी बहुपक्षीय सम्मेलन में मेजबान देश के साथ द्विपक्षीय बैठक होना असामान्य नहीं है, लेकिन मोदी-शी की मुलाकात इसलिए खास मानी जा रही है क्योंकि हाल ही में अमेरिका और भारत के रिश्तों में खटास आई है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है. 1 सितंबर को पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भी द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है.
मोदी-जिनपिंग की मुलाकातों से क्यों टेंशन में है अमेरिका?
चीन में होने वाले SCO समिट को लेकर अमेरिका चिंतित है. यह मंच हमेशा चीन के प्रभाव में रहा है और पाकिस्तान पर कड़े शब्दों से बचता आया है. इस बार शी जिनपिंग इसे अपनी ताकत दिखाने का जरिया बना रहे हैं. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को BRICS और SCO जैसे मंचों से खतरा इसलिए महसूस हो रहा है क्योंकि रेयर अर्थ पर इन देशों का कब्जा है. दुनिया के आधे से ज्यादा रेयर अर्थ रिजर्व चीन के पास हैं और वही सबसे बड़ा सप्लायर है. अमेरिका ने ब्राजील पर भी 50% टैरिफ लगाया है, जो दूसरे नंबर पर है.
पीएम मोदी के दौरे को लेकर चीन की सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है?
प्रधानमंत्री मोदी के चीन दौरे पर वहां के सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं. कुछ ने अमेरिका के दबाव के खिलाफ मोदी के रुख की तारीफ की, जबकि कुछ ने भारत पर शक जताकर चीन से गहरे सहयोग की मांग की. यह दिखाता है कि भारत के लिए चीन और अमेरिका के साथ रिश्तों में संतुलन बनाना आसान नहीं है, खासकर जब अमेरिका नई दिल्ली को अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति में अहम मानता है.
भारत ने तिआनजिन में बिछाई कूटनीति की नई बिसात
पीएम मोदी के चीन दौरे पर एक्सपर्ट का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये चीन दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है, जब पूरी दुनिया अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीतियों से जूझ रही है. ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ के बाद PM मोदी के इस चीन दौरे से भारत ने कूटनीति की नई बिसात बिछाई है. तिआनजिन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ वन-टू-वन मीटिंग और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता से तय होगा कि दुनिया की धुरी क्या होगी. अमेरिका और यूरोप इस मीटिंग पर टकटकी लगाए देख रहे हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि पीएम मोदी का ये दौरा सिर्फ बहुपक्षीय बैठक तक सीमित नहीं है. इसमें दुनिया की कूटनीति का नया अध्याय छिपा है.
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