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जीएसटी कलेक्शन में 2.35 लाख करोड़ रुपये की गिरावट

– दोपहिया वाहनों पर टैक्स रेट में छूट को लेकर नहीं हुआ कोई फैसला

नई दिल्‍ली। वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की गुरुवार को हुई 41वीं बैठक में राज्यों को दिए जाने वाले मुआवजा पर चर्चा हुई। वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने बताया कि राज्यों को मुआवजा के दो विकल्पों पर चर्चा हुई है। पहला विकल्प केंद्र उधार लेकर भुगतान करे, जबकि दूसरा विकल्प राज्य खुद आरबीआई से उधार लें। इन दोनों विकल्पों पर विचार के लिए राज्यों ने एक हफ्ते का वक्‍त मांगा है। पांडेय ने कहा कि मुआवजा की यह व्यवस्था केवल वित्त वर्ष 2021 के लिए रहेगी। वित्त वर्ष 2021 में 65 हजार करोड़ रुपये के मुआवजा सेस कलेक्शन की उम्मीद जताई।

जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गुरुवार को हुई, जिसमें कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। इस बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की। बैठक में राज्यों को मिलने वाले जीएसटी मुआवजा और कई प्रॉडक्ट (उत्‍पादों) पर जीएसटी रेट्स रिविजन को लेकर विशेष तौर पर चर्चा हुई। ज्ञात हो कि कोविड-19 की वजह से केंद्र और राज्‍यों की आमदनी बहुत घट गई है।

वित्‍त मंत्री ने बैठक के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया। सीतारमण ने बताया कि जीएसटी परिषद की 5 घंटे तक चली इस बैठक के दौरान राज्यों को क्षतिपूर्ति देने के दो विकल्पों पर चर्चा हुई। वित्‍त मंत्री की मौजूदगी में मीडिया को संबोधित करते हुए वित्‍त सचिव ने कहा कि बैठक में केंद्र ने रज्‍यों से कहा है कि राज्‍य बाजार से कर्ज उठाए, जबकि राज्यों का कहना है कि यह काम केंद्र करे। बैठक में दोपहिया वाहनों पर जीएसटी दर में कटौती को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है। मीडिया को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि दोपहिया वाहनों पर टैक्स कटौती को लेकर कोई टाइमलाइन तय नहीं है।

मीडिया को संबोधित करते हुए वित्त सचिव पांडेय ने कहा कि कोविड-19 की महामारी के कारण इस वर्ष जीएसटी कलेक्शन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। चालू वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी कलेक्शन में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी की आशंका है। राज्यों को मुआवजा राशि की भरपाई के लिए 2 विकल्प दिए गए हैं। केंद्र खुद उधार लेकर राज्यों को मुआवजा दे या फिर आरबीआई से उधार लिया जाय। राज्य 7 दिनों के भीतर अपनी राय देंगे।

पिछले वित्त वर्ष में राज्यों को मिले 1.65 लाख करोड़ रुपये

पांडेय ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में केंद्र ने राज्यों को जीएसटी मुआवजा के तौर पर 1.65 लाख करोड़ रुपये दिए हैं। इसमें मार्च में दिए गए 13806 करोड़ रुपये भी शामिल है, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में सेस कलेक्शन 95444 करोड़ रुपये रहा। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में केंद्र ने राज्यों को जीएसटी मुआवजा के रूप में 1.65 लाख करोड़ रुपये दिए। इसमें मार्च में दिए गए 13806 करोड़ भी शामिल है। वित्त वर्ष 2019-20 में सेस कलेक्शन 95444 करोड़ रहा। हालांकि, जीएसटी मुआवजा कानून के अनुसार राज्यों को क्षतिपूर्ति दिए जाने की जरूरत है।

गौरतलब है कि अटॉर्नी जनरल ने है कहा कि 2017 में जब जीएसटी को देशभर में लागू किया गया था तो पांच सालों के लिए ट्रांजिशन पीरियड की घोषणा की गई थी। यह वक्त जून 2022 तक है। केंद्र ने कहा था कि जिन राज्यों की कमाई पर जीएसटी से असर होगा, उसकी भरपाई की जाएगी। यह जानकारी वित्‍त सचिव अजय भूषण पांडे ने दी है। ज्ञात हो कि मार्च में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुआवजे की भरपाई को लेकर कानूनी सलाह मांगी थी।

उल्लेखनीय है कि जीएसटी लागू होने के 5 साल तक राज्यों को किसी भी कर नुकसान की भरपाई केंद्र द्वारा करने का प्रावधान है। अटार्नी जनरल ने कहा कि जीएसटी कलेक्शन में कमी को भारत के एकीकृत फंड से नहीं पूरा किया जा सकता है। पांडेय ने बताया कि अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि जुलाई, 2017 से जून, 2022 के ट्रांजिशन पीरियड के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाना है। (एजेंसी, हि.स.)

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