
नई दिल्ली: हिंदी के जाने-माने कवि और कथाकार विनोद कुमार शुक्ल का रायपुर में एम्स में निधन हो गया है. शुक्ल का जन्म छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हुआ था. वो 89 साल के थे, पिछले काफी दिनों से वो अस्वस्थ चल रहे थे, जिसके बाद उन्हें रायपुर एम्स में भर्ती कराया गया था. कई दिनों तक चले इलाज के बाद आज उनका निधन हो गया.
विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हुआ था, लेकिन राज्य की राजधानी रायपुर में रहते थे. पिछले करीब 50 सालों से वो लिखते रहे. शुक्ल ने अपनी उच्च शिक्षा जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय से पूरी की. प्राध्यापक के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने साहित्य सृजन को अपना जीवन समर्पित कर दिया था.
विनोद कुमार शुक्ल का पहला कविता संग्रह लगभग जयहिंद 1971 में प्रकाशित हुआ था. उनकी शानदार लेखनी ने साहित्य जगत में अलग जगह बनाई. शुक्ल की लेखनी की तारीफ न केवल देश बल्कि विदेशों में भी होती रही है. उनकी रुचि कविता और गद्य दोनों में समान रूप से थी. यही वजह है कि वो हिंदी साहित्य में अपनी लेखनी का लोहा मनवा चुके थे.
विनोद कुमार शुक्ल के चर्चित उपन्यासों की बात करें तो इसमें नौकर की कमीज, खिलेगा तो देखेंगे और दीवार में एक खिड़की रहती थी अहम रहे. इन उपन्यासों की गिनती हिंदी के सबसे बेहतरीन उपन्यासों में किया जाता रहा है. वहीं, कहानियों की बात करें तो पेड़ पर कमरा और महाविद्यालय भी काफी चर्चा में रहा है.
शुक्ल द्वारा लिखी गई कव्य पुस्तकों का कई भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है. वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहनकर, आकाश धरती को खटखटाता है, कविता से लंबी कविता जैसी कृतियां काफी लोकप्रिय भी रहीं.
विनोद कुमार शुक्ल को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है. इनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार, पेन/नाबोकोव पुरस्कार, दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रजा पुरस्कार, और साहित्य अकादमी पुरस्कार, हिन्दी गौरव सम्मान जैसे अवॉर्ड शामिल हैं. इसके अलावा उन्हें मातृभूमि बुक ऑफ द ईयर अवार्ड और पेन अमरीका नाबोकॉव जैसे अवॉर्ड भी मिल चुके हैं.
विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया है. पीएम ने ट्वीट करते हुए कहा, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे. शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति.
विनोद कुमार शुक्ल की कविता संग्रह
लगभग जयहिंद
वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह
सब कुछ होना बचा रहेगा
अतिरिक्त नहीं
कविता से लंबी कविता
आकाश धरती को खटखटाता है
पचास कविताएं
कभी के बाद अभी
कवि ने कहा -चुनी हुई कविताएं
प्रतिनिधि कविताएं
छत्तीसगढ़ से निकलकर राष्ट्रीय साहित्य जगत में अपनी अलग पहचान बनाने वाले विनोद कुमार शुक्ल को समकालीन हिन्दी साहित्य की सबसे संवेदनशील लेखनों में गिना जाता रहा है. शुक्ल की रचनाओं की खासियत यह है कि वे रोजमर्रा के साधारण जीवन को असाधारण अनुभव में बदल देते थे. उनकी भाषा बेहद सहज होती थी, लेकिन भाव और अर्थ पाठक को भीतर तक छू जाते था.
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