
नई दिल्ली। लोन मोरेटोरियम के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को एक हफ्ते की और मोहलत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ब्याज पर जो राहत देने की बात की गई है उसके लिए रिजर्व बैंक द्वारा किसी तरह का दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया हैय़ इसलिए कोर्ट ने एक हफ्ते के भीतर स्थिति स्पष्ट करने के लिए नया हलफनामा दायर करने को कहा है।
कोर्ट ने कहा कि ब्याजमाफी कैसे लागू होगी, इसका विवरण देते हुए सरकार 12 अक्टूबर तक नया हलफनामा दे। सुनवाई के दौरान रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन ने कहा है कि सरकार ने जो हलफनामा दिया है उसमें कई आंकड़े और तथ्य आधारहीन हैं। क्रेडाई ने केंद्र सरकार के हलफनामे पर जवाब के लिए कुछ और दिनों की मोहलत मांगी है।
क्रेडाई के वकील ने कहा कि केंद्र सरकार ने रियल एस्टेट सेक्टर को कोई राहत नहीं दी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस सेक्टर को किसी तरह की लोन रीस्ट्रक्चरिंग सुविधा भी नहीं दी है। कंपनियों को पूरा ब्याज देना पड़ रहा है. क्रेडाई को सरकार के 6 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े पर आपत्ति है। इसके जवाब में सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उपलब्ध संसाधनों के मुताबिक अलग-अलग सेक्टर को राहत दी गई है.
लॉकडाउन में लोगों को आर्थिक तौर पर राहत देने के लिए रिजर्व बैंक ने लोन की EMI भुगतान टालने (मोरेटोरियम) की सुविधा दी थी। बीते मार्च से शुरू हुई ये सुविधा 31 अगस्त तक यानी कुल 6 महीने के लिए थी. आरबीआई ने कहा था कि लोन की किस्त 6 महीने नहीं चुकाएंगे, तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा। हालांकि, इसके साथ ये शर्त भी रख दी गई कि मोरेटोरियम के बाद बकाया पेमेंट पर पूरा ब्याज देना पड़ेगा। मतलब ये कि मोरेटोरियम सुविधा खत्म होने के बाद पिछले 6 माह की लोन के ब्याज पर अतिरिक्त ब्याज लगेगा।
लेकिन सरकार ने अब एक हलफनामा पेशकर कहा है कि वह 2 करोड़ रुपये तक के लोन पर लगने वाले ब्याज के ब्याज यानी ईएमआई के ब्याज को खुद चुकायेगी। यह मोरेटोरियम का लाभ लेने वाले लोगों को ही मिलेगा और यह एक बड़ी राहत है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद सरकार की ओर से बैंक लोन या क्रेडिट कार्ड के मोरेटोरियम पर लगने वाले अतिरिक्त ब्याज पर राहत दी गई है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि एमएसएमई, एजुकेशन, होम, कंज्यूमर, ऑटो लोन पर लागू चक्रवृद्धि ब्याज को माफ किया जाएगा। इसके अलावा क्रेडिट कार्ड बकाया पर भी ये ब्याज वसूली नहीं की जाएगी।
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