नई दिल्ली। एयर क्राफ्ट कैरियर (air craft carrier) विक्रांत के साथ भारत उन देशों में शामिल हो गया है जो 40 हजार टन से ज्यादा वजनी युद्धपोत (heavy warship) बना सकते हैं। इस सूची में अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस जैसे देश शामिल हैं। कोच्चि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की मौजूदगी में दो सितंबर को आईएसी विक्रांत नौसेना(Vikrant Navy) में औपचारिक रूप से शामिल होगा।
भारतीय नौसेना के वाइस चीफ एडमिरल एसएन घोरमड़े ने बताया कि विक्रांत के उपकरण 18 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से बनकर आए हैं। इन्हें अंबाला, दमन, कोलकाता, जालंधर, कोटा, पुणे, नई दिल्ली आदि में बनाया गया। इस राष्ट्रीय एकता(National unity) की नायाब मिसाइल (rare missile) के जरिये नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी क्षमता को काफी बढ़ाने जा रही है। इसे बनाने में बीईएल, भेल, जीआरएसई, केट्रॉन, किर्लोस्कर, एल एंड टी, वार्टसिला इंडिया आदि कंपनियों और करीब 100 एमएसएमई ने भी योगदान दिया है। इस पर 20 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए, निर्माण 2009 में शुरू हुआ था और 76 प्रतिशत हिस्से भारत में बनाए गए। विक्रांत को मिग-29 के लिए तैयार किया गया है। हालांकि, नौसेना राफेल व एफ18 के संचालन के भी परीक्षण करवा रही है। ब्यूरो
चीन के सामने बढ़ेगी मजबूती
वाइस चीफ एडमिरल ने कहा कि यह घरेलू रक्षा उद्योग के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि बनेगा। साथ ही हाल में चीन ने श्रीलंका-मालदीव जैसे देशों में अपना नौसैनिक दखल बढ़ाया है। आईएसी विक्रांत इसके खिलाफ भारत की मजबूती बनेगा।
26 डेक-बेस्ड एयरक्राफ्ट लेने की तैयारी
वाइस चीफ एडमिरल ने कहा, नौसेना 26 डेक-बेस्ड एयरक्राफ्ट खरीदने की तैयारी में है। इसके लिए बोइंग के एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट व फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन के राफेल-एम को अंतिम चयन में रखा गया है।
आईएसी विक्रांत की खूबियां
ऑटोमेशन आधारित काम : आईएसी विक्रांत के उच्च स्तर के ऑटोमेशन से युक्त रखा गया है।
स्टोबार : यहां से विमान और हेलिकॉप्टर दोनों को संचालित कर सकते हैं। एक नया एयरक्राफ्ट ऑपरेशन मोड भी रखा गया है, जिसे ‘स्टोबार’ नाम दिया गया है।
अरेस्टेड लैंडिंग : इसमें विमानों को छोटे रन-वे पर उतारने के लिए अरेस्टिंग गीयर उपयोग होता है। यह प्रणाली कई स्टील के वायर की रस्सियों को लैंडिंग के वक्त विमान के पीछे मौजूद टेल-हुक में लगाती हैं।
भारत-अमेरिका की नौसेनाएं अहम: संधू
अमेरिका में भारत (India in America) के राजदूत तरणजीत संधू ने दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच सहयोग को द्विपक्षीय रक्षा संबंधों का सबसे अहम और बहुआयामी घटक करार दिया है। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी का प्रमुख स्तंभ बनकर उभरा है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मद्देनजर ज्यादा मजबूत हुआ है। पिछले हफ्ते आईएनएस सतपुड़ा के सैन डिएगो पहुंचने के ऐतिहासिक अवसर पर संधू ने यह बयान दिया।