
नई दिल्ली । भारत (India)में हार्ट अटैक(Heart Attack) और कार्डियक अरेस्ट(cardiac arrest) से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसी को मद्देनजर रखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शनिवार को कहा कि भारत इस समय हार्ट से जुड़ी हुई समस्याओं के टाइम बम का सामना कर रहा है। इसकी सबसे बड़ी बड़ी वजह बदलती लाइफ स्टाइल को बताया है। उन्होंने बताया कि इन समस्याओं की वजह से होने वाली ज्यादातर मौतों को नियमित जांच, जल्दी इलाज और स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर टाला जा सकता है।
29 सितंबर को मनाए जाने वाले विश्व हार्ट दिवस के पहले डॉक्टरों ने ऐसे मामलों की भारत में बढ़ती संख्या पर भी अपनी चिंता जाहिर की। विशेषज्ञों ने बताया कि मानव ह्रदय का आकार एक मुट्ठी के बराबर होता है। यह 70 साल की उम्र तक करीब 2.5 अरब से अधिक बार धड़कता है। हालांकि यह अपने आप में बीमारियों का मुकाबला करने में सक्षम होता है लेकिन फिर भी बदलती लाइफ स्टाइल इसके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालती है, इसकी वजह से होने वाले नुकसान को यह अपने आप टाल नहीं सकता।
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट’ के हृदय विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. अशोक सेठ ने कहा कि मोटापे, मधुमेह और उच्च रक्तचाप की बढ़ती समस्या तथा धूम्रपान, अस्वस्थ खानपान एवं शारीरिक असक्रियता के कारण युवाओं के हृदय रोगों का शिकार होने की आशंका बढ़ रही है। उन्होंने कहा, “चार दशक तक मरीजों का इलाज करने के बाद मैं यकीन के साथ कह सकता हूं कि धमनियों में रक्त के प्रवाह को रोकने वाला एक ब्लॉकेट मजह मिनट भर में जीवन को छीन सकता है।”
डॉ. सेठ ने कहा, “दुखद बात यह है कि ज्यादातर दिल के दौरे अचानक नहीं आते। लोग अक्सर कई दिनों या हफ्तों पहले ही सीने में ऐंठन, सांस लेने में तकलीफ या बिना किसी कारण के थकान की शिकायत महसूस करते हैं। समस्या यह है कि इन लक्षणों को तब तक नजरअंदाज किया जाता है, जब तक कि बहुत देर न हो जाए। विश्व हृदय दिवस हमें याद दिलाता है कि लक्षणों को जल्दी पहचानकर और तुरंत कार्रवाई करके जिंदगी बचाई जा सकती है।”
‘फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट’ में ‘इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी’ के अध्यक्ष और कैथ लैब के प्रमुख डॉ. अतुल माथुर ने बताया कि भारत में लोगों में दिल की बीमारियों का जोखिम क्यों बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “हम मोटापे, मधुमेह और उच्च रक्तचाप की एक खतरनाक तिकड़ी देख रहे हैं। ये तीनों स्थितियां समय के साथ धमनियों को चुपचाप नुकसान पहुंचाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप अचानक ‘ब्लॉकेज’ पैदा होता है। फिर भी, इस जोखिम को पलटा जा सकता है।”
बचाव के क्या उपाय?
डॉ. माथुर ने कहा, “नियमित कसरत, वजन पर नियंत्रण, तंबाकू से परहेज, संतुलित खानपान और नियमित जांच दिल के दौरे के खिलाफ शक्तिशाली सुरक्षा कवच हैं। भारत को बीमारी का इलाज करने के बजाय उसकी रोकथाम की प्रवृत्ति विकसित करने की जरूरत है।”
आपको बता दें हार्ट की परेशानी की वजह से वैश्विक स्तर पर हर साल करीब 2.05 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान चली जाती है। इनमें से 85 फीसदी मौतें दिल के दौरे और स्ट्रोक के कारण होती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक सही समय पर जांच, इलाज और स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर लगभग 80 फीसदी मौतों को टाला जा सकता है।
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