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समुद्र में बढ़ेगी भारत की ताकत, तीसरी परमाणु पनडुब्बी जल्द नौसेना में होगी शामिल, बैलेस्टिक मिसाइलों से है लैस

December 03, 2025

नई दिल्ली । भारत (India) अगले वर्ष अपनी न्यूक्लियर ट्रायड (Nuclear Triad) के समुद्री हिस्से को और मजबूत करने जा रहा है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी (Dinesh K Tripathi) ने मंगलवार को घोषणा करते हुए कहा कि देश की तीसरी परमाणु-संचालित बैलेस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) ‘INS अरिदमन’ अंतिम परीक्षण चरणों में है और जल्द ही नौसेना में शामिल कर ली जाएगी। यह पनडुब्बी भारत की समुद्री परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को नई धार देगी।

7000 टन विस्थापन क्षमता वाली बड़ी SSBN
सूत्रों के अनुसार, INS अरिदमन के समान 7000 टन क्षमता वाली चौथी SSBN (कोडनेम S-4) को भी 2027 तक नौसेना में शामिल किए जाने की संभावना है। भारत की पहली दो SSBN- INS अरिहंत और INS अरिघाट क्रमशः 2018 और 2024 में पूर्ण रूप से परिचालन क्षमता हासिल कर चुकी हैं। इन दोनों का वजन 6000 टन के आसपास है।

INS अरिदमन में K-4 बैलेस्टिक मिसाइलों (3500 किमी रेंज) की दोगुनी क्षमता होगी, जबकि INS अरिहंत केवल K-15 मिसाइलों (750 किमी रेंज) से लैस है। भविष्य में 5000–6000 किमी रेंज वाली K-5 और K-6 मिसाइलों पर भी काम जारी है।


रूस से 2027-28 तक मिलेगी नई SSN ‘INS चक्र-3’
भारत को समुद्री प्रतिरोधक क्षमता में बढ़त दिलाने वाली एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि रूस से मिलने वाली अकुला-क्लास SSN (परमाणु-संचालित हमला पनडुब्बी) है, जिसे INS चक्र-3 नाम दिया जाएगा। यह पनडुब्बी 2019 में हुए 3 अरब डॉलर के समझौते के तहत पहले ही मिल जानी चाहिए थी, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते डिलीवरी अब 2027-28 में होगी। SSN का उपयोग दुश्मन की पनडुब्बियों, युद्धपोतों और रणनीतिक स्थापनाओं को दूर-दूर तक खोजने और नष्ट करने जैसे पारंपरिक समुद्री अभियानों में किया जाता है।

भारत की समुद्री क्षमता का बढ़ता दायरा

भारत की न्यूक्लियर ट्रायड तीन हिस्सों से मिलकर बनती है-

1. भूमि आधारित अग्नि सीरीज बैलेस्टिक मिसाइलें
2. लड़ाकू विमान (Su-30MKI, Mirage-2000, Jaguar, Rafale)
3. समुद्र आधारित SSBN बेड़ा

इनमें से समुद्री प्लेटफॉर्म को सबसे सुरक्षित और विश्वसनीय माना जाता है, क्योंकि परमाणु-संचालित पनडुब्बियां महीनों तक समुद्र में छिपकर रह सकती हैं और जरूरत पड़ने पर शक्तिशाली प्रतिघाती हमला कर सकती हैं। भारत की नो-फर्स्ट-यूज नीति के तहत SSBN देश की अंतिम और सबसे मजबूत प्रतिरोधक क्षमता का प्रतिनिधित्व करती हैं।

स्वदेशी SSN परियोजना में भी बड़ी प्रगति
प्रधानमंत्री-नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने अक्टूबर 2024 में 40,000 करोड़ रुपये की लागत से दो स्वदेशी SSN निर्माण को मंजूरी दी थी।

प्रत्येक SSN 9800 टन की होगी
190 MW प्रेसराइज्ड लाइट-वाटर रिएक्टर से लैस
पहली पनडुब्बी 2036–37 तक नौसेना में शामिल होगी
दूसरी उसके 2 साल बाद तैयार होगी

चीन और अमेरिका की तुलना में अभी भी छोटा बेड़ा
भारत के मौजूदा SSBN, अमेरिका, चीन और रूस की तुलना में आकार में लगभग आधे हैं। चीन वर्तमान में 6 जिन-क्लास SSBN और 6 SSN का संचालन कर रहा है, जिनमें 10,000 किमी रेंज वाली JL-3 मिसाइलें शामिल हैं। अमेरिका के पास 14 ओहायो-क्लास SSBN और 53 SSN हैं। भारत भी भविष्य में 13,500 टन क्षमता वाली अगली पीढ़ी की बड़ी SSBN बनाने की योजना रखता है, जिनमें 190 MW के शक्तिशाली रिएक्टर लगाए जाएंगे।

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