
नई दिल्ली। पुणे स्थित नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स (National Centre for Radio Astrophysics) के अंतरिक्ष यात्रियों की टीम (Astronaut team) ने दुर्लभ तारों की खोज (discovers rare stars) की है। ‘मेन सीक्वेंस रेडियो पल्स’ एमिटर्स या MRPs वर्ग से संबंध रखने वाले ये तारे सूर्य से भी ज्यादा गर्म हैं। जानकारों ने ये खोज जायंट मीटरवेव रेडियो पल्स (uGMRT) की मदद से की है। खास बात यह है कि अब तक अंतरिक्ष में केवल 15 MRPs की खोज हो सकी है. इनमें से 11 की तलाश पुणे के अंतरिक्ष यात्रियों ने की है।
‘मेन सीक्वेंस रेडियो पल्स’ एमिटर्स वे तारे होते हैं, जो सूर्य से ज्यादा गर्म होते हैं और मैग्नेटिक फील्ड्स के बड़े आकार का उत्सर्जन करते हैं. ये सितारों पर मौजूद हवाओं की तुलना में काफी ज्यादा शक्तिशाली होते हैं। उत्सर्जन के इस व्यवहार के चलते ये तारे चमकीली रेडियो पल्स तैयार करते हैं. देखने में यह किसी अंधेरे द्वीप पर लाइटहाउस की तरह नजर आता है. पुणे के जानकारों ने 11 में 8 तारे इसी साल खोजे हैं।
शोधकर्ताओं का मानना है कि ये खोज इस धारणा को खत्म कर सकती है कि MRPs दुर्लभ खगोलीय पिंड हैं। MRPs की पहली बार खोज साल 2000 में की गई थी। कहा जा रहा है कि GMRT की बढ़ी ताकत के कारण इतनी बड़ी खोज मुमकिन हो सकी है। लाइव मिंट के अनुसार, प्रोफेसर पूनम चंद्रा ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि uGMRT की उच्च संवेदनशीलता को रणनीतिक अवलोकन तकनीक से मिलाने के बाद बाधाएं दूर हुईं और इन कॉस्मिक एंटाइटीज को देख सके।
पुणे के शोध केंद्र का कहना है कि uGMRT दुनिया का सबसे संवेदनशील टेलीस्कोप है. साथ ही इसमें हाई-रिजॉल्युशन तस्वीरें खींचने की क्षमता है। इस प्रोजेक्ट की जानकारी ‘एस्ट्रोफिजिकल जर्नल’ में प्रकाशित की गई है। स्टडी में शामिल रहीं डॉक्टर बरनाली दास ने कहा है कि अध्ययन ने स्टेलर मैग्नेटोस्पीयर के क्षेत्र में ज्ञान के रास्ते खोल दिए हैं और यह आगे की स्टडी को बढ़ावा देगा।
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