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यूक्रेन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्र देश में ही पूरी करेंगे पढ़ाई ! स्वास्थ्य मंत्रालय कर रहा विचार

नई दिल्‍ली । यूक्रेन संकट (Ukraine crisis) और कोविड-19 महामारी (covid-19 Epidemic) से प्रभावित भारतीय मेडिकल छात्रों (Indian medical students) को देश के कॉलेजों में अपनी शिक्षा (education) पूरी करने में मदद के लिए संभावित नीति या योजना को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) विचार कर रहा है।

सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने एमबीबीएस छात्रों को यहां के मेडिकल कॉलेजों में क्लिनिकल ​​प्रशिक्षण पूरा करने की अनुमति के संबंध में दो महीने में एक योजना तैयार करने के लिए नियामक निकाय को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में स्वास्थ्य मंत्रालय का विचार मांगा है।


विदेश मंत्रालय ने भी स्वास्थ्य मंत्रालय को भारतीय निजी चिकित्सा संस्थानों में एक बार अपवाद के आधार पर विषम परिस्थितियों का सामना कर रहे छात्रों के लिए मेडिकल डिग्री कार्यक्रम जारी रखने की अनुमति देने पर विचार करने के लिए लिखा था। वर्तमान में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के नियमों के तहत विदेश में मेडिकल पाठ्यक्रम करने वाले भारतीय छात्रों को अकादमिक सत्र के बीच समायोजित करने के लिए कोई निर्धारित मानदंड नहीं हैं।

एक सूत्र ने कहा, ‘यूक्रेन संकट और महामारी से प्रभावित भारतीय मेडिकल छात्रों को देश के कॉलेजों में अपनी शिक्षा पूरी करने में सक्षम बनाने के लिए नीति या योजना के संभावित निर्धारण पर प्रारंभिक चर्चा हुई है, लेकिन कुछ भी ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।’

उन्होंने कहा, ‘हालांकि ऐसे छात्रों की सही संख्या स्पष्ट नहीं है, लेकिन अनुमान बताते हैं कि वे 20,000 से अधिक हो सकते हैं और भारत में कॉलेजों में मौजूदा शैक्षणिक सत्रों के बीच इतनी बड़ी संख्या में छात्रों को समायोजित करना एक मुश्किल काम है। रास्ता निकालने के लिए विचार-विमर्श जारी है।’

सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को एनएमसी को दो महीने में योजना तैयार करने का निर्देश दिया था। मार्च में नियामक निकाय ने कहा कि कोविड-19 या युद्ध जैसी स्थितियों के कारण अपूर्ण इंटर्नशिप वाले विदेशों से मेडिकल स्नातक भारत में इसे पूरा कर सकते हैं।

एनएमसी ने छह मई को स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा था कि शीर्ष अदालत ने नियामक निकाय को दो महीने के भीतर एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया है ताकि प्रतिवादियों और इसी तरह के छात्रों को ऐसे शुल्कों पर भारतीय मेडिकल कॉलेजों में क्लिनिकल ​​प्रशिक्षण पूरा करने की अनुमति मिल सके, जो एनएमसी निर्धारित कर सकता है।

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