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जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े ‘कैश कांड’ की जांच पूरी, समिति ने CJI को सौंपी रिपोर्ट

May 06, 2025

नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट के जज रहे जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) के घर करोड़ों की अधजली नकदी मिलने के मामले में देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) ने पिछले महीने यानी मार्च में तीन सदस्यीय जांच समिति (Inquiry Committee) गठित की थी। इस समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट उन्हें रविवार यानी 4 मई को सौंप दी है। अब सीजेआई के अगले कदम का इंतजार हो रहा है क्योंकि वह 13 मई को रिटायर होने जा रहे हैं।

इस समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थे। इस कमेटी ने 3 मई की तारीख में जारी अपनी जांच रिपोर्ट CJI को अगले दिन यानी 4 मई को सौंप दी है।

CJI खन्ना पर टिकीं निगाहें
कैश कांड के बाद जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया गया था। हालांकि, उन्हें वहां अभी अदालती कामकाज से वंचित रखा गया है। जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद स्थानांतरण किए जाने पर वहां के वकीलों ने इसका खूब विरोध किया था और हड़ताल भी की थी। हालांकि, जांच रिपोर्ट आने तक अधिवक्ताओं ने अपनी हड़ताल स्थगित कर दी थी। अब इस जांच रिपोर्ट पर सबकी निगाहें टिकी हैं। अगर इस जांच में जस्टिस वर्मा दोषी पाए जाते हैं तो सीजेआई क्या कदम लेंगे, उस पर न्यायािक बिरादरी के साथ-साथ देशभर की निगाहें टिक गई हैं।


कब सामने आया था कैश कांड
बता दें कि होली के दिन 14 मार्च की रात करीब 11.35 बजे जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लग गई थी। इसकी सूचना पर दमकल विभाग की एक टीम आग बुझाने वहां पहुंची थी। आग बुझाने के बाद छानबीन के दौरान दमकल विभाग की टीम को स्टोर रूम से कथित तौर पर भारी मात्रा में अधजले नोट मिले थे। इसके बाद, प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम और दिल्ली उच्च न्यायालय ने जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लेने समेत कई निर्देश जारी किए थे।

हालांकि, जस्टिस वर्मा ने स्पष्ट रूप से इस बात से इनकार किया है कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा उनके आवासीय परिसर के स्टोर रूम में कोई नकदी रखी गई थी। साथ ही उन्होंने इस बात दावे का भी खंडन किया कि कथित नकदी उनकी थी। जस्टिस वर्मा ने कहा कि उनके सरकारी आवास से नकदी मिलने के आरोप स्पष्ट रूप से उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश प्रतीत होते हैं।

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