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ISRO की चांद पर एक सफलता… चंद्रयान-2 ने मिशन के ‘ऑर्बिटर’ से एकत्र किया उन्नत डेटा

November 09, 2025

नई दिल्ली। छह साल पहले लॉन्च किए गए चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) से एक और खुशखबरी मिली है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization- ISRO) ने शनिवार को अपडेट देते हुए कहा कि उसने चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों (Moon’s Polar regions) की गहरी समझ हासिल करने के लिए चंद्रयान-2 मिशन के ‘ऑर्बिटर’ से उन्नत डेटा एकत्र किया है, जिसमें इसकी सतह के भौतिक और परावैद्युत गुणों का वर्णन करने वाले पैमाने भी शामिल हैं। इसरो ने एक बयान में कहा कि यह भविष्य में चंद्रमा के अध्ययन के लिए भेजे जाने वाले अभियानों की दिशा में भारत का प्रमुख मूल्य संवर्धन है।


बयान के मुताबिक, चंद्रयान-2 का ‘ऑर्बिटर’ 2019 से चंद्रमा की कक्षा में है और उच्च गुणवत्ता वाला डेटा प्रदान कर रहा है। इसमें कहा गया है कि ‘ऑर्बिटर’ पर मौजूद एक पेलोड ‘डुअल फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार (डीएफएसएआर)’ वह पहला उपकरण है, जिसने एल-बैंड का पूर्ण-ध्रुवमितीय मोड में इस्तेमाल करके और सबसे उच्च रिजोल्यूशन (25 मीटर/पिक्सेल) में चंद्रमा का मानचित्रण किया है।

यह उन्नत रडार मोड ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज दोनों दिशाओं में सिग्नल भेजता और प्राप्त करता है, जिसके चलते इसे सतह के गुणों का अध्ययन करने के लिए आदर्श समझा जाता है।इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के बाद से, चंद्रमा के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्रों (80 से 90 डिग्री अक्षांश) का मानचित्र बनाने के लिए लगभग 1,400 रडार डेटासेट एकत्र और संसाधित किए जा चुके हैं।

उसने कहा, “अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) के वैज्ञानिकों ने डेटासेट का इस्तेमाल करते हुए पानी-बर्फ की संभावित मौजूदगी, सतह के खुरदरेपन और ‘परावैद्युत स्थिरांक’ के संबंध में उन्नत डेटा एल्गॉरिदम तैयार किया है।” ‘परावैद्युत स्थिरांक’ एक महत्वपूर्ण विद्युत गुण है, जो चंद्रमा की सतह के घनत्व और सरंध्रता जैसी विशेषताओं का वर्णन करता है।

इसरो के मुताबिक, पूर्ण-ध्रुवमितीय डेटा के विश्लेषण के लिए एल्गोरिदम विकसित कर लिया गया है और इसरो ने इसे पूरी तरह से स्वदेशी रूप से तैयार किया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि ये उन्नत डेटा एल्गॉरिदम चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों के बारे में प्रथम-क्रम की जानकारी जुटाने के लिहाज से अहम हैं। उसने कहा कि ऐसा अनुमान है कि इन क्षेत्रों में सौरमंडल की प्रारंभिक रासायनिक संरचना संरक्षित रही होंगी, जो ग्रहों के विकास के कई पहलुओं को समझाने के लिए महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं।

इसरो ने कहा, “चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों पर इस्तेमाल के लिए तैयार इस तरह के डेटा एल्गॉरिदम की हमेशा से मांग रही है, क्योंकि यह भविष्य के चंद्र अन्वेषण अभियानों के लिए ध्रुवीय क्षेत्रों की विशेषताओं को दर्शाने वाली समग्र जानकारी प्रदान करेगा। ये एल्गॉरिदम चंद्रमा पर खनिजों के वितरण के अध्ययन में ‘हाइपरस्पेक्ट्रल डेटा’ के पूरक हैं।” अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि ध्रुवीय मानचित्र में प्रमुख रडार पैमाने शामिल हैं, जो चंद्रमा की सतह और उपसतह की भौतिक एवं परावैद्युत विशेषताओं पर प्रकाश डालते हैं।

उसने कहा, “चंद्रयान-2 के ‘ऑर्बिटर’ से प्राप्त उन्नत डेटा की मदद से तैयार ध्रुवीय मानचित्र एल्गॉरिदम (स्तर 3सी) उपयोगकर्ताओं के लिए जारी किए गए हैं और भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान डेटा केंद्र (आईएसएसडीसी) की प्रदान वेबसाइट पर मुफ्त में उपलब्ध हैं।”

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