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Jaya Bachchan हुईं 73 वर्ष की, शुरूआती सफलता दिलाने में इस निर्माता-निर्देशक का रहा बड़ा हाथ

मुंबई । बॉलीवुड (Bollywood) की जानी-मानी अभिनेत्री जया बच्चन (Jaya Bachchan) आज 73 वर्ष की हो गयी। जया भादुड़ी Jaya Bhadur (जया बच्चन) का जन्म 09 अप्रैल 1948 को बंगाली परिवार में हुआ था । उनके पिता तरुण भादुड़ी पत्रकार (father Tarun Bhaduri journalist) थे। जया भादुड़ी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा संत जोसेफ कानवेंट से पूरी की । इसके बाद उन्होंने पुणा फिल्म इंस्टीच्यूट (Puna Film Institute) में दाखिला ले लिया । सत्तर के दशक में अभिनेत्री बनने का सपना लेकर जया भादुड़ी ने फिल्म इंडस्ट्री (film industry) में कदम रख दिया । जया भादुड़ी ने अपने सिने करियर की शुरुआत 15 वर्ष की उम्र में महान निर्माता-निर्देशक सत्यजीत रे (producer-director Satyajit Ray) की बंग्ला फिल्म महानगर (Bengali film Mahanagar) से की। इसके बाद उन्होंने एक बंग्ला कामेडी फिल्म धन्नी मेये ( Bengali comedy film Dhanni Maye) में भी काम किया जो टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुयी।

जया भादुड़ी (Jaya Bhaduri) को प्रारंभिक सफलता दिलाने में निर्माता-निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी (Producer-Director Hrishikesh Mukherjee) की फिल्मों का बड़ा योगदान रहा। उन्हें पहला बड़ा ब्रेक उनकी ही वर्ष 1971 में प्रदर्शित फिल्म गुड्डी से मिला। इस फिल्म में जया भादुड़ी ने एक ऐसी लड़की की भूमिका निभाई जो फिल्में देखने की काफी शौकीन है और अभिनेता धमेन्द्र से प्यार करती है ।अपने इस किरदार को जया भादुड़ी ने इतने चुलबुले तरीके से निभाया कि दर्शक उस भूमिका को आज भी भूल नही पाये हैं।

वर्ष 1972 में जया भादुड़ी को ऋषिकेष मुखर्जी की ही फिल्म कोशिश में काम करने का अवसर मिला जो उनके सिने कैरियर के लिये मील का पत्थर साबित हुयी। इस फिल्म की सफलता के बाद वह शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंचीं। वह इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिये सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिए नामांकित भी की गयी। फिल्म कोशिश में जया भादुड़ी (Jaya Bhaduri) ने गूंगे की भूमिका निभायी जो किसी भी अभिनेत्री के लिये बहुत बड़ी चुनौती थी ।बगैर संवाद बोले सिर्फ आंखो और चेहरे के भाव से दर्शको को सब कुछ बता देना जया भादुड़ी की अभिनय प्रतिभा का ऐसा उदाहरण था जिसे शायद ही कोई अभिनेत्री दोहरा पाये। कोशिश की सफलता के बाद ऋषिकेश मुखर्जी जया भादुड़ी के पसंदीदा निर्देशक बन गये। बाद में जया भादुड़ी ने उनके निर्देशन में बावर्ची, अभिमान, चुपके-चुपके और मिली जैसी कई फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया ।

वर्ष 1972 में प्रदर्शित फिल्म एक नजर के निर्माण के दौरान जया भादुड़ी (Jaya Bachchan) का झुकाव फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन की ओर हो गया ।इसके बाद जया भादुड़ी और अमिताभ बच्चन ने वर्ष 1973 में शादी कर ली ।शादी के बाद भी जया भादुड़ी ने फिल्मों में काम करना जारी रखा। वर्ष 1975 जया भादुड़ी के सिने कैरियर का अहम पड़ाव साबित हुआ। उस वर्ष उन्हें रमेश सिप्पी की सुपरहिट फिल्म शोले में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म के पहले उनके बारे में यह धारणा थी कि वह केवल रूमानी या चुलबुले किरदार निभाने में ही सक्षम है लेकिन उन्होंने अपने संजीदा अभिनय से दर्शको को मंत्रमुग्ध कर दिया ।

अस्सी के दशक में शादी के बाद पारिवारिक जिम्मेवारियों को देखते हुये जया भादुड़ी ने फिल्मों में काम करना काफी हद तक कम कर दिया ।यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी वर्ष 1981 में प्रदर्शित फिल्म सिलसिला उनके सिने करियर की आखिरी फिल्म साबित हुयी ।इसके बाद जया भादुड़ी लगभग 17 वर्षो तक फिल्म इंडस्ट्री से दूर रही ।हालांकि इस बीच उन्होंने एक फिल्म की कहानी भी लिखी ।बाद में उस कहानी पर वर्ष 1988 में अमिताभ बच्च्न अभिनीत फिल्म शंहशाह प्रदर्शित हुयी। वर्ष 1998 में प्रदर्शित फिल्म ..हजार चौरासी की मां ..के जरिये जया भादुड़ी ने अपने सिने करियर की दूसरी पारी शुरू की।गोविन्द निहलानी के निर्देशन में नक्सलवाद मुद्दे पर बनी इस फिल्म में जया भादुड़ी ने मां की भूमिका को भावात्मक रूप से पेश कर दर्शको का दिल जीत लिया ।

फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद जया भादुड़ी ने समाज सेवा के लिए राजनीति में प्रवेश किया और समाजवादी पार्टी के सहयोग से राज्यसभा की सदस्य बनी । भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए 1992 में उन्हें देश के चौथे सबसे बडे नागरिक सम्मान पदमश्री से अलंकृत किया गया। जया भादुड़ी अपने सिने कैरियर में नौ बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित की जा चुकी है। रूपहले परदे पर जया भादुड़ी की जोडी अमिताभ बच्चन के साथ खूब जमी।अमिताभ और जया की जोड़ी वाली फिल्मों में जंजीर, अभिमान, मिली, चुपके-चुपके, शोले, सिलसिला, कभी खुशी कभी गम जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल है। जया भादुड़ी के करियर की कुछ उल्लेखनीय फिल्मों में जवानी दीवानी, बावर्ची, परिचय, पिया का घर, शोर, अनामिका, फागुन, नया दिन नयी रात, कोई मेरे दिल से पूछे, लागा चुनरी में दाग, द्रोण शामिल है।

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