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किसान आंदोलन : वकील ने दी जान, पत्नी से आखिरी फोन कॉल पर कही थी ये बात 

हरियाणा के बहादुरगढ़ में किसान आंदोलन में शामिल पंजाब के वकील ने जहर खाकर जान दे दी थी। उनकी मौत की खबर से पंजाब के जलालाबाद में शोक की लहर दौड़ गई। वकील अमरजीत के घर सांत्वना देने वालों का तांता लग गया। चार दिन पहले अमरजीत ने पत्नी से फोन पर बात की थी और किसान आंदोलन के समर्थन में बड़ी बात कही थी।

दिल्ली बॉर्डर के निकट बहादुरगढ़ स्थित धरनास्थल से चार दिन पहले वकील अमरजीत सिंह ने फोन कर पत्नी बिमला रानी को वहां के हालात की जानकारी दी थी और कहा था कि कड़ाके की ठंड में किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी बात तक नहीं सुन रहे हैं। जब तक किसानों का मसला हल नहीं होता, तब तक मैं घर नहीं लौटूंगा। पंजाब के जलालाबाद स्थित अमरजीत के घर पर मौजूद रिश्तेदारों के मुंह पर यही बात थी।

रिश्तेदारों ने बताया कि अमरजीत की जमीन नहीं है, फिर भी किसानों के हक के लिए वह दिल्ली बॉर्डर पर धरने में शामिल होने के लिए गए थे। जब घर से दिल्ली जा रहे थे तो परिजनों ने रोका था कि आप दिल्ली क्यों जा रहे हैं, आपकी तो जमीन भी नहीं है। इस पर अमरजीत ने कहा था जमीन चाहे बिक गई लेकिन मैं किसान का बेटा हूं, किसानों के हक के लिए मैं जान भी दे दूंगा। 

अमरजीत की मौत की सूचना मिलने पर जलालाबाद स्थित उनके घर पर विभिन्न जत्थेबदियों व लोगों की भीड़ लग गई। उनकी पत्नी बिमला रानी, बेटी सुमनदीप कौर व बेटा नवजोत सिंह रोहतक पीजीआई के लिए रवाना हो गए। घर पर अफसोस करने पहुंचे रिश्तेदारों ने बताया कि अमरजीत का पैतृक गांव महालम है, वहां पर इनकी जमीन थी, जो बिक गई थी। इसके बाद अमरजीत जलालाबाद में रहने लगे। मध्यम वर्गीय परिवार से संबंधित अमरजीत की बेटी पटियाला में पीसीएस की तैयारी कर रही है। बेटा जलालाबाद के डीएवी कालेज से बीए कर रहा है। दस दिन पहले अमरजीत दिल्ली किसानों के धरने में गए थे और वहीं पर किसानों के साथ धरना दे रहे थे। 

बार एसोसिएशन ने बैठक कर वकील अमरजीत सिंह को श्रद्धांजलि दी। एसोसिएशन के प्रधान रोहित दहूजा व महासचिव विशाल सेतिया ने कहा कि पिछले दस दिनों से अमरजीत दिल्ली के टिकरी बार्डर पर किसानों के साथ धरना दे रहे थे। अमरजीत ने रविवार सुबह जहरीला पदार्थ निगल कर जान दे दी। उन्होंने कहा कि राज्य व केंद्र सरकार अमरजीत के बच्चों को उनकी योग्यता के मुताबिक नौकरी दे, क्योंकि घर में अमरजीत अकेले कमाने वाले थे। पिछले पंद्रह साल से अमरजीत वकालत कर रहे थे। वह बार एसोसिएशन के सदस्य भी थे। 

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