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हर घंटे 2 करोड़ का नुकसान, भारत में 4 साल में 400 से ज्यादा बार इंटरनेट लॉकडाउन

नई दिल्ली। साल 2021 की शुरुआत देश में इंटरनेट लॉकडाउन की एक श्रृंखला के साथ हुई। पिछले एक महीने में हरियाणा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में किसानों के प्रदर्शन स्थल पर पांच मामले सहित देशभर में इंटरनेट शटडाउन के सात मामले देखे गए हैं। विरोध स्थल के आसपास इंटरनेट सेवाओं के निलंबन ने दुनियाभर का ध्यान आकर्षित किया, हालांकि सरकार ने किसानों के विरोध स्थल पर इंटरनेट पाबंदी को नहीं बढ़ाया। दिल्ली के आसपास इंटरनेट लॉकडाउन को लेकर अमेरिका की ओर से कहा गया कि हमें लगता है कि किसी भी जानकारी को आम लोगों तक पहुंचाना, जिसका इंटरनेट भी एक हिस्सा है, वो एक अच्छे लोकतंत्र का हिस्सा है।


सबसे लंबा इंटरनेट शटडाउन 223 दिनों का :

इंटरनेट पाबंदी का हरियाणा के झज्जर, सोनीपत और पलवल जिलों में सबसे ज्यादा असर पड़ा है। हालांकि, भारत में इंटरनेट पर पाबंदी असामान्य नहीं हैं। देश पिछले चार साल में 400 से अधिक इंटरनेट शटडाउन का गवाह है। दुनिया का सबसे लंबा इंटरनेट शटडाउन भी भारत में दर्ज किया गया था। 4 अगस्त, 2019 से 4 मार्च, 2020 यानी कुल 223 दिनों के लिए संसद में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट शटडाउन कर दिया गया था।


फोर्ब्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया के किसी भी अन्य लोकतांत्रिक देश की तुलना अपने यहां सबसे ज्यादा इंटरनेट शटडाउन करता है। भारत में जम्मू-कश्मीर को सबसे ज्यादा इंटरनेट पाबंदी का सामना करना पड़ा। जम्मू-कश्मीर के बाद राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और महाराष्ट्र का नंबर आता है। इंटरनेट शटडाउन के कई मामले लंबे भी खिंचे हैं। 2017 में 21 शटडाउन, 2018 में 5 और 2019 में 6 शटडाउन 3 दिनों से अधिक समय तक रहा।


इंटरनेट पाबंदी पर कानून : भारतीय कानूनों में इंटरनेट बंद करने का प्रावधान शामिल है। दूरसंचार विभाग टेंपरेरी सस्पेंशन ऑफ टेलीकॉम सर्विसेज रूल्स, 2017 के तहत एक क्षेत्र में इंटरनेट समेत टेलीकॉम सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित करने की अनुमति देता है। निलंबन आदेश या तो केंद्रीय गृह सचिव या राज्य के गृह सचिव द्वारा पब्लिक इमरजेंसी की स्थिति में या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में जारी किया जा सकता है।


एक्सेसनाउ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जैसे देशों के पास शटडाउन को सुगम बनाने और वैध साबित करने के लिए कानून हैं। भारत में इंटरनेट शटडाउन महज अवांछनीय घटनाओं की वजह से नहीं लगाए जाते हैं। Internetshutdowns.in के अनुसार, 2017 में 79 शटडाउन में से 61 प्रिवेंटिव थे, जबकि केवल 18 रिएक्टिव थे। जबकि 2018 में, इंटरनेट शटडाउन की 67 घटनाएं प्रिवेंटिव थीं जबकि इतने ही शटडाउन रिएक्टिव थे।

इंटरनेट शटडाउन से भारी नुकसान : इंटरनेट बंद होने से भी भारी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है। Top10vpn की एक रिपोर्ट से पता चला है कि भारत में इंटरनेट बंद होने की कीमत 2020 में 2.7 बिलियन डॉलर रही क्योंकि यह पाबंदी 8,927 घंटों तक जारी रही थी, जिसमें अलग-अलग जगहों पर एक साथ घंटों तक इंटरनेट शटडाउन किया गया। अगर प्रति डॉलर को 73.3 रुपये के दर से देखें तो भारत में हर घंटे इंटरनेट लॉकडाउन की लागत 2 करोड़ रुपये से अधिक बैठती है।

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