विदेश

ऑस्ट्रेलिया में शुरू हुआ Metoo Movement, 15 मार्च को देशभर में होंगे प्रदर्शन

कैनबरा। ऑस्ट्रेलिया में राजनेताओं पर लगे यौन शोषण के आरोप का मसला, अब बड़े आंदोलन की शक्ल लेता दिख रहा है। एक आरोपी नेता को उनके पद से हटा कर मामले को ठंडा कर देने की स्कॉट मॉरिसन सरकार की कोशिश कामयाब होती नहीं दिखती है। महिला संगठनों ने एलान किया कि अगले 15 मार्च को वे देश भर में विरोध प्रदर्शन करेंगे। उस दौरान संसद को एक मांग-पत्र सौंपा जाएगा। इसमें सांसदों और उनके कर्मचारियों पर लगे यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों की जांच कराने की मांग की जाएगी।


पीएम मॉरिसन ने अटार्नी जनरल का लिया इस्तीफा
पिछले हफ्ते दुष्कर्म का आरोप लगने के बाद देश के अटार्नी जनरल क्रिश्चियन पोर्टर को इस्तीफा देना पड़ा था। उन पर आरोप है कि 1988 में उन्होंने 16 साल की एक लड़की से दुष्कर्म किया था। पीड़िता की 49 वर्ष की उम्र में पिछले साल मृत्यु हो गई थी। लेकिन मरने से पहले उसने प्रधानमंत्री कार्यालय और दो महिला राजनेताओं को गोपनीय रूप से अपनी शिकायत भेजी थी। मृत्यु के दिन तक पीड़िता पुलिस के सामने अपना बयान दर्ज नहीं करा पाई थी। पिछले हफ्ते पुलिस ने इस मामले की जांच यह कह कर बंद दी की कि उसे पर्याप्त सबूत नहीं मिले। लेकिन जनता में मचे शोर के बाद प्रधानमंत्री मॉरिसन ने अटार्नी जनरल को हटा दिया। लेकिन उन्होंने इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने से इनकार कर दिया।

लैंगिक समानता कायम करने की उठी मांग
अब ऑस्ट्रेलिया में चल रही सार्वजनिक चर्चाओं में कहा जा रहा है कि सिर्फ इस्तीफे से यह मामला खत्म नहीं होगा। महिला संगठनों ने ऐसे ढांचागत बदलाव लाने की मांग की है, जिससे स्कूल, कार्य स्थलों, न्याय व्यवस्था जैसे तमाम क्षेत्रों में जेंडर (लैंगिक) समानता कायम हो सके। 15 मार्च की रैली की आयोजकों में से एक जेनी हेंड्री ने कहा-हम नहीं चाहते कि एक और रिपोर्ट जारी हो। हम अभी बदलाव चाहते हैं। हेंड्री 58 साल की हैं। उन्होंने कहा- इस उम्र में कोई विरोध जताने के लिए सड़कों पर नहीं उतरना चाहता, लेकिन देश में जब ऐसी घटनाएं हो रही हैं, तो हमें सड़कों पर उतरना होगा।

फेसबुक पेज ‘मार्च 4 जस्टिस’ से जुड़े 22 हजार लोग
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विरोध जताने के लिए बनाए फेसबुक पेज ‘मार्च 4 जस्टिस’ को पिछले छह दिन में 22 हजार से ज्यादा लोगों ने ज्वाइन किया है। विदशों में रहने वाले ऑस्ट्रेलियाई भी इस मुहिम में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इस मामले से बने माहौल ने ऑस्ट्रेलिया में #मीटू मूवमेंट की शुरुआत कर दी है। अटार्नी जनरल को लेकर उठे विवाद के बीच कई और महिलाएं सामने आई हैं, जिन्होंने अपने साथ हुए उत्पीड़न की कहानी देश को बताई है।

रक्षा मंत्रालय में दुष्कर्म का आरोप
कुछ दिनों पहले लिबरल पार्टी की पूर्व कर्मचारी ब्रिटनी हिगिन्स ने आरोप लगाया कि 2019 में रक्षा मंत्रालय के कार्यालय में उनके साथ दुष्कर्म किया गया था। हिगिन्स ने कहा कि उन्हें सामने आकर अपनी बात कहने की प्रेरणा यौन उत्पीड़न की पूर्व पीड़िता ग्रेस टेम से मिली। टेम को इस साल जनवरी में वूमन ऑफ द ईयर घोषित किया गया। टेम ने तमाम महिलाओं से अपील की थी कि वे अपने साथ हुई ज्यादती की कहानियां दुनिया को बताएं। इसी साहस के लिए उन्हें ये सम्मान मिला।

मॉरिसन की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
हिगिन्स के आरोप के बाद प्रधानमंत्री मॉरिसन ने इस घटना की जांच कराने का एलान किया। उन्होंने वादा किया कि संसद की कार्य संस्कृति में बदलाव लाया जाएगा। लेकिन इस सिलसिले में मॉरिसन की कार्य प्रणाली पर सवाल उठे हैं। मॉरिसन ने सार्वजनिक रूप से यह कहा था कि इस मामले में उनके रुख को उनकी पत्नी जेनी से प्रभावित किया। जेनी ने उनसे पिता के रूप में सोचने को कहा कि अगर उनकी बेटी के साथ ऐसा हो, तो उन पर क्या गुजरेगी। इस पर एक महिला रिपोर्टर ने मॉरिसन से प्रेस कांफ्रेंस में सवाल किया कि क्या अगर किसी पुरुष को पत्नी और बेटियां ना हों, तो वह सहानुभूतिपूर्ण निष्कर्ष तक नहीं पहुंचेगा?

गृह मंत्री डुटॉन के रवैए से भड़का गुस्सा
ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्री पीटर डुटॉन ने शुरुआत में मामले को गंभीरता से लेने से इनकार किया था। इन कारणों से लोगों का गुस्सा भड़क गया। खासकर महिलाओं में सरकार की गंभीरता और संवेदनशीलता को लेकर शक पैदा हुआ है। उसका नतीजा सड़कों पर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के रूप में सामने आया है। 15 मार्च को पहली बार सारे देश में एक साथ ऐसे प्रदर्शन होंगे।

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