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बिहार : दूध उत्पादकों के आर्थिक समृद्धि का आधार बनेगी देश की दूसरी किसान स्पेशल ट्रेन

बेगूसराय । देश के समग्र विकास में लगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार से गिरिराज सिंह के संसदीय क्षेत्र बेगूसराय को लगातार बड़ा तोहफा मिल रहा है। हाल के वर्षों में तीस हजार करोड़ से अधिक की बड़ी परियोजनाओं का क्रियान्वयन शुरू होने के बाद अब देश के दूसरे किसान स्पेशल ट्रेन का नियमित परिचालन बेगूसराय से शुरू किया गया है। यह किसान स्पेशल ट्रेन बेगूसराय के बरौनी डेयरी से एक-एक दिन के अंतराल पर राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड द्वारा विकसित चार टैंकर में चालीस-चालीस हजार लीटर दूध लेकर तीव्र गति से पड़ोसी राज्य झारखंड के टाटानगर तक जाती है।

बरौनी डेयरी के प्रबंध निदेशक सुनील रंजन मिश्र ने बताया कि यहां का दूध पड़ोसी राज्य झारखंड भेजने के लिए चलाई गई किसान स्पेशल ट्रेन बरौनी डेयरी सहित बिहार का दुख दूर करने वाला और प्रगति का सूचक साबित होगा। इसमें से एक टैंकर दूध रांची एवं हटिया, एक टैंकर दूध बोकारो तथा दो टैंकर दूध टाटानगर जा रहा है। सोमवार को तीसरी रैंक लेकर यह किसान स्पेशल रवाना हुई। इसके परिचालन से जहां एक तरफ सड़क से परिवहन में लगने वाले समय में बचत हो रही है। वहीं उच्च गुणवत्ता का अधिक से अधिक दूध पड़ोसी राज्य में बिक्री करने से संघ और इससे जुड़े 1202 गांव के एक लाख 75 हजार से अधिक किसानों को आर्थिक रूप से फायदा होगा।

सुनील रंजन मिश्र ने बताया कि सोनपुर रेल मंडल द्वारा असम के गुवाहाटी के लिए जल्द रेलवे के माध्यम से दूध टैंकर का परिचालन शुरू हो जाएगा। इससे बिहार के डेनमार्क का दूध असम तक के घरों में अपनी पहुंच बनाएगा। लॉकडाउन दूध के उत्पादन में कोई कमी नहीं आई लेकिन इसकी बिक्री में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आ गई। होटल, दुकान, छात्रावास, भोज बंद हो गए, इसके कारण दूध उत्पादन व्यवसाय पर संकट के बादल छा गए। इस दौरान डेेेयरी ने दूध के दाम में पांच से सात रुपये लीटर तक की कटौती भी किया। उसके बावजूद क्षमता से अधिक भंडारण हो जाने के कारण कई दिन विभिन्न डेयरी में शटडाउन किए गए। किसानों के लाखों लीटर दूध बर्बाद हो गए। पशुपालक किसानों की इस पीड़ा को केन्द्र सरकार ने समझा और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किसान स्पेशल ट्रेन चलाई गई है। इससे बरौनी डेयरी को प्रतिदिन चार लाख 40 हजार लीटर से अधिक दूध देने वाले किसानों को काफी उम्मीदें हैं, किसानों में आशा जगी है कि दूध के साथ यहां के सब्जी जैसे अन्य उत्पादों को भी बड़े बाजारों तक पहुंचा कर किसानों की प्रगति के द्वार खुल सकते हैं। यह किसानों के आय और आत्मविश्वास को बढ़ावा देने का जरिया साबित हो सकता है।

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