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‘अबकी बार ट्रम्प सरकार’ कहने वाले मोदी पलटे, कहा बाइडेन भारत के हिमायती

नई दिल्ली। जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद भी भारत-अमेरिका के बीच दोस्ती का सिलसिला थमने वाला नहीं है, क्योंकि दोनों देशों के रिश्ते उस मुकाम पर पहुंच गए हैं, जहां से पीछे नहीं लौटा जा सकता। जो बाइडेन की कोशिश होगी कि यहां से भारत-अमेरिका के रिश्ते को एक नया आयाम दिया जाए। जो बाइडेन का ट्रैक रिकॉर्ड कहता है कि उनका भारत को लेकर रुख सकारात्मक रहा है, खासकर बाइडेन भारतीय बाजार को लेकर वाकिफ हैं। 77 साल के अनुभवी जो बाइडेन मानते हैं कि दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत, और द्विपक्षीय व्यापार में बहुत गुंजाइश है। इसके अलावा जो बाइडेन की टीम में कई भारतीय हैं जो रिश्तों को नई मंजिल तक ले जाना चाहेंगे।

दरअसल अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन 1970 के दशक के दौर से ही भारत-अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों के हिमायती रहे हैं। वर्ष 2008 में दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु समझौते के लिए सीनेट की मंजूरी दिलवाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी तथा आतंकवाद निरोधी कई विधेयकों का उन्होंने समर्थन भी किया।

भारत का शुरू से ही दिया साथ
वर्ष 2001 में बाइडेन सीनेट की विदेशी संबंध समिति के अध्यक्ष थे और उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को पत्र लिखकर भारत पर लगे प्रतिबंधों को हटाने की मांग की थी। असैन्य परमाणु समझौते को अमलीजामा पहनाने के लिए जब दोनों देशों के बीच गहन बातचीत चल रही थी तब बाइडेन सीनेट में भारत के एक महत्वपूर्ण सहयोगी के तौर पर मौजूद थे। वह समझौता दोनों मजबूत लोकतंत्रों के बीच संबंधों को और गहरा करने के लिए एक नींव साबित हुआ। सामरिक मामलों के जानेमाने विशेषज्ञ पी.एस. राघवन ने कहा कि राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में बाइडेन उपराष्ट्रपति थे और संबंधों को विकसित करने की प्रक्रिया का अहम हिस्सा थे। हिंद-प्रशांत साझेदारी ओबामा के कार्यकाल में शुरू हुई थी

पीएम मोदी ने दी जीत की बधाई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार रात को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जो बाइडेन को बधाई दी। उन्होंने अमेरिकी उपराष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान भारत-अमेरिकी संबंधों को और मजबूती प्रदान करने में उनके योगदान का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जो बाइडेन, शानदार जीत के लिए आपको बधाई। बतौर उपराष्ट्रपति, भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में आपका योगदान महत्वपूर्ण और अमूल्य था। मैं भारत-अमेरिका संबंधों को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए एक बार फिर साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं।

7 साल पहले आए थे भारत
बाइडेन बतौर उपराष्ट्रपति जुलाई 2013 में चार दिवसीय दौरे पर भारत आए थे, तब उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से मुलाकात की थी और दिल्ली में गांधी स्मृति संग्रहालय भी गए थे। वह मुंबई भी गए थे जहां पर उन्होंने कारोबारी अगुवाओं से मुलाकात की थी और बंबई स्टॉक एक्सचेंज में नीति पर भाषण दिया था।

पीएम मोदी के दौरे पर की थी मेजबानी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सितंबर 2014 में जब अमेरिका दौरे पर गए थे तब तत्कालीन उपराष्ट्रपति बाइडेन ने उनके लिए भोज की मेजबानी की थी। बराक ओबामा के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक और रक्षा संबंधों में प्रमुख विस्तार हुआ और उसमें बाइडेन ने अहम भूमिका निभाई थी। ओबामा प्रशासन ने ही 2016 में भारत को अमेरिका का ‘प्रमुख रक्षा साझेदार’ का दर्जा दिया था।

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्यता के दावे का भी ओबामा प्रशासन ने समर्थन किया था। अपने प्रचार दस्तावेजों में बाइडेन ने अमेरिका-भारत साझेदारी को लेकर अपने दृष्टिकोण को पेश किया है तथा क्षेत्र में खतरों का सामना करने में भारत का साथ देने की बात कही है। बीते कुछ वर्षों से अमेरिका और भारत के संबंधों में काफी विकास हुआ है और इसमें अमेरिका में मौजूद 40 लाख भारतीय-अमेरिकी लोगों की विशेष भूमिका रही है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है।

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