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मुस्लिम संगठन कर रहे बौद्ध यात्रा का विरोध, कानून व्यवस्था के लिए बताया खतरा

कारगिल। इन दिनों लद्दाख स्थित कारगिल (Kargil) जिला मुख्यालय में एक बौद्ध यात्रा चर्चा में बनी हुई है। इसका कारण यह है कि धर्मगुरु चोस्कयोंग पालगा रिनपोछे अपने अनुयायियों (followers) के साथ यह यात्रा कर रहे हैं और उनका लक्ष्य कारगिल (Kargil) में एक विवादास्पद स्थल पर एक मठ का पत्थर रखना है। इस पर कुछ मुस्लिम समुदाय(Muslim community) के सदस्यों ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इससे माहौल खराब हो सकता है।

दरअसल, कारगिल जिला मुख्यालय में बौद्ध मठ (Buddhist Monastery) तक इस शांति यात्रा को लेकर तनाव जैसे हालात बन रहे हैं। दैनिक ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक कारगिल लोकतांत्रिक गठबंधन(democratic alliance) के बैनर तले कई इस्लामी संगठनों ने शांति यात्रा निकाले जाने को कानून व्यवस्था के लिए खतरा बताया है। इस्लामी संगठनों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर चेताया है कि पद यात्रा सियासी मंशा (political intent) से निकाली जा रही है, जिससे हालात खराब हो सकते हैं।

उधर लेह से निकली शांति यात्रा कारगिल के नजदीक मुलबेख मुख्यालय पहुंच गई है। कारगिल पहुंचने तक इसमें बौद्ध समुदाय से करीब एक हजार लोग शामिल होंगे। यह यात्रा 31 मई को शुरू हुई और यह 14 जून को मुस्लिम बहुल कारगिल में खत्म होगी। रिपोर्ट के मुताबिक सामाजिक और धार्मिक संगठनों के संगठन कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) ने उपायुक्त को एक पत्र लिखकर कहा कि यह मार्च राजनीति से प्रेरित था और लद्दाख में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ सकता है।



हालांकि दूसरी तरफ शनिवार को लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन (एलबीए) की कारगिल शाखा के पदाधिकारियों ने शांति पद यात्रा पर चर्चा करने के बाद सर्वसम्मति से पद यात्रा को बिना शर्त समर्थन करने का फैसला लिया। एलबीए यूथ विंग, महिला इकाई, गोबा और कारगिल शाखा के तहत सभी गांवों के प्रतिनिधियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए एसोसिएशन के कारगिल अध्यक्ष स्कर्मा दादुल समेत अन्य पदाधिकारियों (office bearers) ने कहा कि समूचा बौद्ध समुदाय आठवें चोसक्योंग पलगा रिंपोछे के नेतृत्व वाली शांति पद यात्रा का समर्थन करता है।

मामले में केडीए ने लद्दाख बौद्ध संघ (एलबीए) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक भी की है। दोनों निकायों ने सहमति व्यक्त की कि इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जाना चाहिए।

बता दें कि कारगिल जिले के मुख्य बाजार में वर्ष 1961 में बौद्ध मठ की एक मंजिला इमारत का निर्माण किया गया था। एलबीए के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि सरकार ने दो कनाल भूमि पर निर्माण की अनुमति दी थी, लेकिन सियासी दबाव बनाकर वर्ष 1969 में बौद्ध मठ के विस्तार पर रोक लगा दी गई। इस समय मठ में बौद्ध धर्म की पुस्तकें व साहित्य मौजूद है। यहां बौद्ध पद्धति से पूजा-पाठ भी होता है।

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