जीवनशैली विदेश स्‍वास्‍थ्‍य

कोरोना वायरस के लिए घातक साबित हो सकती है नाक से दी जाने वाली दवा, स्‍टडी में खुलासा

लॉस एंजिलिस. शोधकर्ताओं (researchers) ने कोविड-19 के लिए नाक से दी जाने वाली एंटी-वायरल दवा विकसित की है, जो संक्रमित पशुओं (infected animals) से सार्स-सीओवी2 के प्रसार को कम तथा इसके संक्रमण को सीमित कर सकती है. जब लोगों की जांच में कोविड-19 होने का पता चलता है तब तक वायरस उनके श्वसन तंत्र (the respiratory system) में पैठ बना चुका होता है. वहीं लोग हर सांस के साथ अदृश्य संक्रामक तत्वों को शरीर से बाहर निकालते हैं. इस समय कोविड-19 के उपचार वाली दवाएं वायरस के प्रकोप से होने वाले लक्षणों पर केंद्रित हैं लेकिन उनसे संक्रमण (infection) को फैलने से रोकने की दिशा में बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिलती.



अमेरिका के ग्लैडस्टोन इंस्टीट्यूट (Gladstone Institute of America) के अनुसंधानकर्ताओं ने पूर्व में संक्रामक रोगों के उपचार के लिए अनोखा तरीका इजाद किया जिसमें एक खुराक में नाक से दवा दी जाती है जो सार्स-सीओवी2 के गंभीर संक्रमण से बचाव करती है. ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडेमी ऑफ साइंसेस’ पत्रिका में प्रकाशित एक नये अध्ययन में वे दर्शाते हैं कि ‘थेरप्यूटिक इंटरफियरिंग पार्टिकल’ (टीआईपी) नामक यह उपचार संक्रमित पशुओं से वायरस के संक्रमण को कम करता है और इसके प्रसार को सीमित भी करता है. अनुसंधानकर्ता लियोर वीनबर्गन ने कहा, ‘‘ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो एंटीवायरल और टीकों (Antivirals and Vaccines) के लिए सांस के जरिये फैलने वाले वायरस के संक्रमण को सीमित करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण रहा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह अध्ययन दिखाता है कि टीआईपी की एक खुराक में नाक से दी जाने वाली दवा पशुओं से वायरस के प्रसार को कम करती है.’’

वीनबर्गर और अनुसंधानकर्ता सोनाली चतुर्वेदी ने सार्स-सीओवी2 से ग्रस्त चूहों का उपचार एंटीवायरल टीआईपी से किया और फिर उनकी नाक में रोजाना वायरस की संख्या मापी. उन्होंने देखा कि जिन चूहों का उपचार नहीं किया गया है, उनकी तुलना में उपचार वाले चूहों की नाक में हर बार वायरस कम गिने गये. ‘डब्ल्यूएचओ‘ के चीफ ट्रेडोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर हर 44 सेकेंड में अभी भी एक शख्स की जान कोविड 19 के चलते हो रही है. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने इसको लेकर कहा, ‘यह वायरस आसानी से खत्म नहीं होगा. रिपोर्ट किए गए मामलों और मौतों में वैश्विक गिरावट जारी है. यह बहुत उत्साहजनक है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि ये रुझान बने रहेंगे.’ घेब्रेयियस ने जो आंकड़ा जारी किया वह कम चौंकाने वाला नहीं है. उन्होंने कहा, ‘फरवरी के बाद से साप्ताहिक रिपोर्ट की मौतों की संख्या में 80 फीसद से अधिक की गिरावट हो सकती है.

Share:

Next Post

Mathura Case: ज्ञानवापी के बाद अब इन दो अहम मामलों के फैसले पर टिकी नजर, आज होगी सुनवाई

Tue Sep 13 , 2022
नई दिल्‍ली। वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी(Gyanvapi) शृंगार गौरी मामले (Case ) की पोषणीयता पर सवाल उठाने वाली याचिका खारिज कर दी और कहा कि वह पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई जारी रखेगी. मामले में अगली सुनवाई अब 22 सितंबर 2022 को होगी. कोर्ट के इस फैसले से […]