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Nirjala Ekadashi 2023: कल है निर्जला एकादशी, इस‍ विधि से करें पूजा, भगवान विष्‍णु की होगी कृपा

नई दिल्‍ली (New Delhi) । हिंदू धर्म (Hindu Religion) में एकादशी का व्रत काफी महत्वपूर्ण होता है. इस व्रत के दिन सूर्योदय से लेकर द्वादशी के सूर्योदय तक जल और अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2023) का व्रत करने वाला व्यक्ति सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है. इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई 2023 को रखा जाएगा. निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है. तो चलिए जानते हैं इस व्रत का महत्व और पूजाविधि (Significance and Ritual) .

शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत है. यह व्रत 30 मई 2023 को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट से शुरू होगा और 31 मई को दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर खत्म होगा. उदया तिथि के अनुसार, इस साल निर्जला एकादशी 31 मई 2023 दिन बुधवार को मनाई जाएगी.


पूजा विधि (worship method)
एकादशी के दिन गंगा स्नान का काफी महत्व है. इस दिन स्नान कर भगवान विष्णु को तुलसी, पीला चन्दन,रोली,अक्षत,पीले पुष्प,फल और धूप-दीप,मिश्री चढ़ाएं. इसके बाद ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें. इस दिन गोदान,वस्त्रदान,छत्र,जूता,फल और जल आदि का दान करने से मनुष्य को जीवन से परेशानियां खत्म होती है. इस दिन रात्रि के समय जागरण करने की मान्यता है. द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद विधिपूर्वक ब्राह्मण को भोजन करवाकर और दक्षिणा देकर अन्न और जल ग्रहण करें.

निर्जला एकादशी पूजा महत्व (Nirjala Ekadashi 2023 Puja Importance)
हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति निर्जला एकादशी के दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किए यह कठोर उपवास रखता है, उन्हें सभी 24 एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना करने से जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और साधक को धन, ऐश्वर्य, सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।

निर्जला एकादशी कथा
पद्मपुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण जब पांडवों को एकादशी व्रत का महत्व बता रहे थे, उस समय जब युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से कहा कि हे जनार्दन आप ज्येष्ठ मास की एकादशी का जो फल और विधान है वह बताइए. इस पर वेदव्याज जी बोले कि ये साल की ऐसी एकादशी है जिसमें अन्न के साथ जल का संयम भी महत्वपूर्ण होता है. इस दिन जल की एक बंद भी ग्रहण नहीं करना चाहिए,नहीं तो व्रत भंग हो जाता है.

निर्जला एकादशी का व्रत है सबसे प्रभावशाली
इसपर पांडवों में से भीम व्यास जी से बोले कि वह एक पल भी अन्न के बिना नहीं रह सकते हैं लेकिन स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्ति के लिए वह भी एकादशी का व्रत करना चाहते हैं. व्यास जी बोले साल में निर्जला एकादशी का व्रत बेहद प्रभावशाली माना जाता है, इस व्रत को करने से पूरे साल की एकादशी का फल मिल जाता है. ऐसे में भीम आप यह व्रत कर सकते हैं. व्यास जी के अनुसार भगवान विष्णु ने कहा है जो व्यक्ति निर्जला एकादशी व्रत का नियमपूर्वक पालन करता है वह करोड़ों स्वर्ण मुद्रा दान करने का पुण्य प्राप्त कर लेता है.

ये है जल दान करने के मंत्र
देवदेव हृषिकेश संसारार्णवतारक।
उदकुंभप्रदानेन नय मां परमां गतिम्॥

इस दिन जरूरतमंद व्यक्ति या किसी ब्राह्मण को शुद्ध पानी से भरा घड़ा यह मंत्र पढ़कर दान करना चाहिए. इससे सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है.

नोट– उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के आधार पर पेश की गई है हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं.

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