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न पैसा न सोना…..खजाना भी खाली, महंगाई से हाहाकर, भयंकर बदहाली से कैसे निकलेगा पाकिस्तान ?

नई दिल्‍ली (New Delhi) । पाकिस्तान (Pakistan) आज अपने बदहाल हालातों के लिए पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) गिरता जा रहा है और गोल्ड रिजर्व (Pak Gold Reserve) भी उसी तेजी से घट रहा है. वहीं कर्ज के बोझ तले पहले से दबा पाकिस्तान ताजा आर्थिक संकट (Economic Crisis) से उबरने के लिए इसे बढ़ाता जा रहा है. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि आखिर इस फाइनेंशियल क्राइसिस से निकलने के लिए उसके पास कौन-कौन से विकल्प हैं? क्या वह भारत की तरह सोना गिरवी रखने का ऑप्शन चुन सकता है? आइए जानते हैं बहदाल देश के ताजा हालात के बारे में…

भारत ने गिरवी रखा था सोना
सबसे पहले बात कर लेते हैं उस विकल्प के बारे में जिसकी दम पर भारत 90 के दशक में पैसे जुटाने के लिए अपनाया था. तो बता दें भारत के इतिहास (history of india) में 1991 के वर्ष को आर्थिक सुधारों के नजरिये से सबसे अहम माना जाता है. इससे पहले भारत की अर्थव्यवस्था खुली नहीं थी. 1991 और उसके बाद के संदर्भ में भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ. सी. रंगराजन की किताब में कई खुलासे किए गए हैं.

The Road: My Days At RBI and Beyond शीर्षक की इस किताब में पूर्व गवर्नर ने लिखा है कि ये ऐसा समय था जब भारत को पैसे जुटाने के उपाय और रास्तों के बारे में सोचना था. तब हमने विदेश में सोना गिरवी रखकर पैसे जुटाने का फैसला किया. 46.91 टन सोना विदेश में गिरवी रखा गया था. इस तरीके से हमने उस समय करीब 50 करोड़ डॉलर जुटाए थे. यह राशि आज काफी कम लग सकती है, लेकिन उस समय काफी थी.

महंगाई को कोहराम से मचा हाहाकार
अब बात कर लेते हैं पाकिस्तान के ताजा हालात की. अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट (Pakistan Economic Crisis) का सामना कर रहे पाकिस्तान में हर बीतते दिन के साथ हालात और भी खराब होते जा रहे हैं. देश में महंगाई 25 फीसदी के चरम पर पहुंच गई है और लोगों को जरूरी सामानों और खाने-पीने की चीजों के भी लाले पड़े हैं. गेहूं के अकाल ने लोगों की थाली से रोटी गायब कर दी है.


आटे की जंग ऐसी चल रही है कि लोग एक बोरी के लिए मरने-मारने तक को तैयार हैं. देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार खत्म होता जा रहा है, जिसके चलते जरूरी सामानों के आयात का संकट गहराता जा रहा है. इस सबसे बीच धराशायी पाकिस्तानी सरकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अमेरिका-सउदी अरब समेत अन्य देशों से मदद की गुहार लगा रहा है.

विदेशी मुद्रा भंडार 2014 के स्तर पर
पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार (Pakistan Forex Reserve) में आ रही कमी सरकार के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन चुकी है. आंकड़ों को देखें तो विदेशी मुद्रा भंडार फरवरी 2014 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है. हालात ये बन गए हैं कि पाकिस्तान के सामने दिवालिया होने का संकट खड़ा हो गया है. वर्तमान में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार में अब 430 करोड़ डॉलर रह गया है.

CEIC की वेबसाइट पर पाकिस्तान के गोल्ड रिजर्व डाटा पर नजर डालें तो बीते साल नवंबर 2022 तक देश का स्वर्ण भंडार 3.645 अरब डॉलर का था, जो इससे पहले जुलाई 2020 में 4.083 अरब डॉलर का था. यानी इस अवधि में गोल्ड रिजर्व में बड़ी गिरावट देखने को मिली है.

कर्ज के बोझ तले दबा है देश
Pakistan Debt की बात करें तो अल जजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार की आर्थिक नीतियों पर कई इकोनॉमिस्ट सवाल खड़े कर चुके हैं. इसमें इस्लामाबाद के अर्थशास्त्री साकिब शेरानी के हवाले से बताया गया है कि पाकिस्तान पर अगले दो वर्षों के लिए सालाना 20 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज चुकाने का भार है. उन्होंने बताया कि 2017 में पाकिस्तान का सालाना कर्ज भुगतान 7 अरब डॉलर के करीब था. वहीं 2023 और 2024 में यह 20 अरब डॉलर के आस-पास है. उन्होंने यह भी कहा कि बिना किसी रोडमैप के हम आर्थिक संकट से निकलने के लिए कोई ठोस कदम उठाने के बजाय कर्ज लेना जारी रखे हुए हैं.

पाकिस्तान लगातार ले रहा उधारी
पाकिस्तान के ताजा हालात पर गौर करें तो विदेशी मुद्रा भंडार विदशों से लिए भारी-भरकम कर्ज के बावजूद कम होता जा रहा है. पिछले तीन महीनों में पाकिस्तान ने विदेशों से 5 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज लिया है, लेकिन फिर भी अपने विदेशी मुद्रा भंडार को संतुलित नहीं रख पा रहा है. पाकिस्तान में ये बुरे हालात करीब एक साल में ही विकराल हो गए हैं.

दरअसल, बीते साल 2022 के जून महीने में देश में आई विकराल बाढ़ ने अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंचाई थी. इस आपदा में जहां 1,700 से ज्यादा लोगों की जान गई थी, तो वहीं तीन करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे. रिपोर्ट्स की मानें तो बाढ़ की वजह से पाकिस्तान को 30 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था. इससे देश उबर पाता, उससे पहले ही देश में ये संकट की स्थिति पैदा हो गई है. जिससे बाहर निकलने में देश नाकाम सा नजर आ रहा है.

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