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अब इस मैदान पर धरना देने पर विचार कर रहे हैं पहलवान

नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) की गिरफ्तारी की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी पहलवानों (exhibition wrestlers) ने मंगलवार को संकेत दिया कि वे अपने आंदोलन को रामलीला मैदान (Ramlila Maidan) ले जा सकते हैं जिससे कि इसे ‘राष्ट्रीय आंदोलन’ (National Movement) बनाया जा सके. ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक तथा एशियाई खेलों (asian games) की स्वर्ण विजेता विनेश फोगाट सहित भारत के शीर्ष पहलवान पिछले 24 दिनों से यहां जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वे बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं जिस पर एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों ने कथित यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है.

मौजूदा अभियान को जंतर-मंतर से कहीं बड़े स्थल रामलीला मैदान पर ले जाकर इसे ‘राष्ट्रीय आंदोलन’ बनाने के भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद के सुझाव पर प्रतिक्रिया देते हुए साक्षी ने कहा, ”हम आपस में चर्चा करेंगे (रामलीला मैदान में विरोध प्रदर्शन को लेकर) और जल्द ही इस बारे में फैसला करेंगे.” जंतर-मंतर पर विरोध करने वाले पहलवानों से आजाद सोमवार शाम को जुड़े थे, लेकिन अधिकारियों ने रात को उन्हें वहां से जाने को कहा. मंगलवार को वह अपने समर्थकों के साथ दोबारा लौटे.

उन्होंने पहलवानों से आग्रह किया कि वे 21 मई के बाद अपने आंदोलन को रामलीला मैदान ले जाकर इसे ‘बड़ा’ बनाने को लेकर फैसला करें. खाप पंचायतों ने बृजभूषण के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर सरकार के लिए यही समय सीमा निर्धारित की है. साक्षी ने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि पहलवान प्रदर्शन स्थल को पूरी तरह से रामलीला मैदान में स्थानांतरित करेंगे या जंतर-मंतर पर भी आंदोलन जारी रखेंगे. सोमवार को विनेश ने कहा कि पहलवानों को लगा कि उन्हें सीमित कर दिया गया है और जंतर-मंतर पर एक कोने में धकेला जा रहा है और वे दूसरी जगहों पर आंदोलन करेंगे. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि जंतर-मंतर पर धरना स्थल पर पहलवानों का पीछा किया जा रहा था.


भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) द्वारा गठित तदर्थ समिति ने डब्ल्यूएफआई के अधिकारियों से राष्ट्रीय महासंघ का प्रभार ले लिया है, लेकिन पहलवान बृजभूषण की गिरफ्तारी की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. आजाद ने अपने भाषण में कहा, ” अगर आप लोग (पहलवान और उनके समर्थक) यहां (जंतर-मंतर पर) बैठे भी रहें तो इसका सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. यह आपका (पहलवानों का) आंदोलन है, हम तहेदिल से आपका समर्थन करेंगे और आपकी ओर से कोई फैसला नहीं करेंगे.”

उन्होंने कहा, ”लेकिन आपको 21 मई को निर्णय लेना होगा कि आप धरना स्थल पर बैठना चाहते हैं या इसे एक बड़ा आंदोलन बनाना चाहते हैं.” पहलवानों ने अधिक से अधिक लोगों से जुड़ने और बृजभूषण के हाथों कथित उत्पीड़न के बारे में उन्हें जागरूक करने के अपने उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सोमवार को कनॉट प्लेस में एक मार्च निकाला था. मंगलवार को उन्होंने जंतर-मंतर से कनॉट प्लेस के पास हनुमान मंदिर तक जुलूस निकालकर फिर से दिल्ली की सड़कों पर उतरने का फैसला किया. पहलवानों ने सोमवार को अपने ‘आंदोलन को वैश्विक’ बनाने और अपनी दुर्दशा को उजागर करने के लिए दूसरे देशों में ओलंपिक पदक विजेताओं और खिलाड़ियों से संपर्क करने का फैसला किया था.

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