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कोरोना के अन्‍य वेरिएंट से ज्‍यादा संक्रामक माना जा रहा ओमिक्रॉन, जानें इससे जुड़ी ये खास बातें

December 07, 2021

नई दिल्ली। कोरोना वायरस (corona virus) का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन डेल्टा समेत अन्य दूसरे वैरिएंट की तुलना में ज्यादा संक्रामक माना जा रहा है। इस वैरिएंट के तेजी से फैलने की मुख्य वजह इसका असामान्य तरीके से म्यूटेट होना है। दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन(omicron) ने बहुत ही कम समय में डेल्टा की जगह ले ली है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इसके बहुत ज्यादा म्यूटेशन की वजह से री-इंफेक्शन भी हो सकता है। डेटा के मुताबिक, इस वैरिएंट की वजह से पूरी दुनिया में कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं। हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि ये डेल्टा से ज्यादा खतरनाक(Dangerous) नहीं होगा।

क्या कहते हैं वैज्ञानिक-
दक्षिण अफ्रीका के शोधकर्ताओं के मुताबिक ओमिक्रॉन (omicron) के फैलने, इम्यूनिटी से बच निकलने की क्षमता और लक्षण से जुड़ी कई जानकारियां लोगों को दी गई हैं। हालांकि अभी भी कई ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब ढूंढने में वैज्ञानिक लगे हैं। दक्षिण अफ्रीकी सेंटर फॉर एपिडेमायोलॉजिकल मॉडलिंग एंड एनालिसिस (SACEMA) के डायरेक्टर जूलियट पुलियम का कहना है, ‘यह लहर डेल्टा की तुलना में बहुत तेज है और अब तक हमें लगता था कि डेल्टा ही सबसे तेज फैलने वाली लहर है। ये अविश्वसनीय है।’

क्या कहती है स्टडी-
पुलियम की टीम ने अपनी स्टडी में पाया कि दक्षिण अफ्रीका(South Africa) में डेल्टा और बीटा की तुलना में ओमिक्रॉन वैरिएंट का री-इंफेक्शन ज्यादा फैला है। उन्होंने कहा, ‘जनसंख्या-स्तर के सबूत बताते हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट इम्यूनिटी से बचने की पर्याप्त क्षमता से जुड़ा है जबकि बीटा या डेल्टा वैरिएंट के साथ ऐसा नहीं था।’ ओमिक्रॉन में 60 म्यूटेशन हैं जो इससे पहले किसी भी वैरिएंट में नहीं देखे गए हैं। जीनोम सिक्वेंसिंग के डेटा से पता चलता है कि इसमें से लगभग 30 म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन के हैं जिसका इस्तेमाल वायरस मानव कोशिकाओं से जुड़ने के लिए करता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्यादा म्यूटेशन वैक्सीनेटेड लोगों में भी इम्यूनिटी को कम कर सकते हैं।



वाशिंगटन यूनिवर्सिटी (Washington University) में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के डायरेक्टर डॉक्टर क्रिस्टोफर जेएल मुरे का कहना है, ‘पिछला संक्रमण जिन जगहों पर फैला था, वहां के लिए ये बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होने वाला है। उदाहरण के तौर, भारत (India) में फैला डेल्टा या लेटिन अमेरिका के कुछ हिस्सों में फैला गामा वैरिएंट। ये ऐसी अतिसंवेदनशील आबादी वाली जगहें हैं जो अब ओमिक्रॉन से संक्रमित हो सकती हैं। कुछ क्रॉस-वैरिएंट से सुरक्षा की उम्मीद की जा सकती है लेकिन स्पाइक प्रोटीन में सभी म्यूटेशन को देखते हुए इसकी संभावना कम ही है।’

न्यूयॉर्क (New York) में ट्रूडो इंस्टिट्यूट में वायरल डिसीज एंड ट्रांसलेशनल साइंस प्रोग्राम की प्रमुख इन्वेस्टिगेटर डॉक्टर प्रिया लूथरा ने इंडिया टुडे को बताया, ‘दक्षिण अफ्रीका के डेटा से पता चलता है कि ये वैरिएंट तेजी से फैलता है, लेकिन डेल्टा की तुलना में ये कम संक्रामक है या ज्यादा इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। SACEMA की एक नई स्टडी से पता चलता है कि ओमिक्रॉन उन लोगों को फिर से संक्रमित कर सकता है जो पहले भी इससे संक्रमित हो चुके हैं। हालांकि अभी ये कहना मुश्किल होगा कि क्या यह वैक्सीन से मिली इम्यूनिटी से बच सकता है। आने वाले हफ्तों में हमारे पास इन सभी सवालों के जवाब होंगे।’

एम्स के पूर्व प्रोफेसर और पल्मोनरी डिपार्टमेंट के प्रमुख जीसी खिलनानी ने बताया, ‘दक्षिण अफ्रीका में 40 प्रतिशत आबादी पहले से ही कोविड से संक्रमित है और 36 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लगी है। बावजूद इसके वहां ओमिक्रॉन तेजी से फैल रहा है। ये भारत के लिए अच्छा संकेत नहीं है, क्योंकि भारत के सीरो सर्वे में एंटीबॉडीज का स्तर काफी ज्यादा पाया गया है जिसे कोरोना के खिलाफ एक बड़ा हथियार माना जा रहा था और हमें लगा कि हम हर्ड इम्यूनिटी की तरफ बढ़ रहे हैं।’ वैज्ञानिक और स्वास्थ्य अधिकारी अभी भी ओमिक्रॉन के डेटा का आकलन कर रहे हैं और इसके म्यूटेशन को ज्यादा से ज्यादा समझने की कोशिश कर रहे हैं।

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