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पैरासिटामाल खाना नुकसानदेह, लीवर पर डालती है सीधा असर, जानें डॉक्टर्स की राय

नई दिल्‍ली (New Delhi) । पैरासिटामॉल (paracetamol) ऐसी दवा है, जो हर घर में कॉमन है। बुखार (Fever) होने और पेनकिलर (painkiller) के तौर पर पैरासिटामाल का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है। यहीं नहीं पैरासिटामाल की गोलियां दाम के मामले में भी काफी कम है। ऐसे में बच्चों से लेकर बड़ों तक हर एज ग्रुप को पैरासिटामॉल की डोज दी जाती है। लेकिन कई सारी रिसर्च में सामने आ चुका है कि पैरासिटामाल को खाना नुकसानदेह है। इसका सीधा असर लीवर (Lever) पर होता है।

क्या कहती है रिसर्च
एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट की स्टडी के मुताबिक पैरासिटामाल का असर लीवर की कोशिकाओं पर होता है। 2006 में छपी स्टडी के मुताबिक यूके में पैरासिटामॉल की ओवरडोज पेनकिलर एसिटामिलोफिन के साथ लीवर फेलियर का सबसे कॉमन कारण है। यही नहीं अमेरिका में एक्यूट लीवर फेल होने का अकेला सबसे बड़ा कारण पैरासिटामॉल है।


क्या है डॉक्टरों की राय
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक डाक्टर का कहना है कि पैरासिटामाल सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली दवा है। जिसे दर्द कम करने से लेकर बुखार उतारने तक के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस दवा से लीवर को खतरा तब है जब इसकी ज्यादा डोज या लंबे समय तक डोज ली जाती है। ये प्रमाणित है कि दवा की वजह से लीवर डैमेज होना और लीवर फेल होना तभी होता है जब लंबे समय तक लीवर में टॉक्सिटी बनी रहती है।

कब होता है पैरासिटामॉल से नुकसान
डाक्टर का कहना है कि जब पैरासिटामॉल की डोज बताई गई मात्रा से ज्यादा ली जाए, बिना मेडिकल सलाह के ली जाए, एल्कोहल के साथ ली जाए, लीवर की खास तरह की कंडीशन में ली जाए या फिर किसी खास तरह की दवाओं के साथ ली जाए। जिसके साथ लेना मना हो, तब लीवर डैमेज का खतरा बढ़ जाता है।

पैरासिटामॉल की वजह से लीवर को नुकसान नहीं होता बल्कि ये पैरासिटामॉल के विघटन से होने वाले एनएपीक्यूआई की वजह से होता है। एनएपीक्यूआई लीवर के ग्लूटाइथिओन को कम कर देता है और सीथे लीवर की कोशिकाओं को डैमेज करता है। इसका पता पैरासिटामॉल खाने के बाद ब्लड लेवल की जांच से हुआ है।

पैरासिटामॉल की कितनी डोज है सुरक्षित
डाक्टरों का कहना है कि 24 घंटे में 8 से ज्यादा टैबलेट नहीं खानी चाहिए। अगर इस दवा को सही तरीके से और संभावित नुकसान को समझकर के साथ खाया जाए तो ये आमतौर पर सुरक्षित है और लीवर के खतरे को कम करती है।

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