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धर्मांतरण रोकने बने कानूनों के खिलाफ याचिका, मप्र-हिमाचल प्रदेश बनाए गए पक्षकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अंतर-धर्म विवाह के कारण होने वाले धर्मांतरण रोकने के लिए बनाए गए कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका में हिमाचल प्रदेश और मध्यप्रदेश को पक्षकार बनाने की बुधवार को एक गैर सरकारी संगठन को अनुमति दी।



प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने देश में इन कानूनों के इस्तेमाल से अधिकतर मुसलमानों को उत्पीड़ित किए जाने के आधार पर मुस्लिम संगठन जमीअत उलेमा-ए-हिन्द को भी पक्षकार बनने की अनुमति दी। उच्चतम न्यायालय छह जनवरी को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विवाह के लिये धर्मांतरण रोकने के लिए बनाए गए कानूनों पर गौर करने के लिए राजी हो गया था।

न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन भी पीठ का हिस्सा थे। पीठ ने विवादित कानूनों पर रोक लगाने से इनकार करते हुए दो अलग-अलग याचिकाओं पर दोनों राज्यों को नोटिस जारी किया था।

अधिवक्ता विशाल ठाकरे और अन्य तथा गैर सरकारी संगठन ‘सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस’ ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 और उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है।

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