नई दिल्ली। दलितों के सोशल बायकॉट (Social boycott of Dalits) को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया। हालांकि शीर्ष अदालत ने इसको लेकर एक सुझाव दिया है। यह मामला आंध्र प्रदेश के एक गांव का है, जो डिप्टी सीएम पवन कल्याण के पीतापुरम विधानसभा क्षेत्र में आता है।
दलितों के सोशल बायकॉट को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया। हालांकि शीर्ष अदालत ने इसको लेकर एक सुझाव दिया है। यह मामला आंध्र प्रदेश के एक गांव का है, जो डिप्टी सीएम पवन कल्याण के पीतापुरम विधानसभा क्षेत्र में आता है। जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से हाई कोर्ट जाने या अन्य उपलब्ध सहायता लेने को कहा। यह याचिका दसारी चेन्ना केसावुलु ने दायर की थी। वह कोर्ट में खुद मौजूद थे और कहा कि गांव में जाति आधारित शोषण और सामाजिक बहिष्कार हो रहा है।
यह है मामला
रिपोर्ट्स के मुताबिक अप्रैल महीने में पीतापुरम गांव में एक बिजली कर्मचारी की मौत हो गई थी। वह कर्मचारी दबंग कापू जाति के व्यक्ति के यहां काम कर रहा था। कर्मचारी की मौत के बाद मृतक के परिवार को मुआवजा देने की बात तय हुई थी। जब यह मुआवजा नहीं दिया गया तो दलित समुदाय ने गांव में विरोध शुरू कर दिया। बताया जाता है कि इस विरोध के बाद दलितों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया।
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